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जगदलपुर, 31 जुलाई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी परिवारों में बेटियों को संपत्ति में समान हक देने का निर्णय सुनाया है, जिसका प्रदेश के सर्व आदिवासी समाज ने विरोध किया है । उनका तर्क है कि यह फैसला संविधान द्वारा दिए अधिकारों और आदिवासी परंपराओं के विपरीत है। इस निर्णय के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम सहित अन्य नेताओं ने इस फैसले पर असहमति जताई है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए झारखंड सहित देश के प्रमुख आदिवासी नेताओं की एक बैठक जल्द ही आयोजित की जा सकती है । अरविंद नेताम ने कहा कि उन्होंने झारखंड के नेताओं से बातचीत की है।, उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कानूनी दृष्टि से सही हो सकता है, लेकिन यह समाज की प्राचीन परंपराओं के खिलाफ है । उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी, जिसमें समाज के रीति-रिवाजों को उचित तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्णयसुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की एक आदिवासी महिला से जुड़े प्रकरण में यह निर्णय दिया है, कि किसी आदिवासी महिला को परिवार की पैतृक संपत्ति में उसके भाइयों के बराबर हिस्सा देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह न्यायोचित है, और संपत्ति में बराबरी का हक नहीं देना लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देगा और यह समानता के अधिकार का उल्लंघन भी है।
लव जिहाद के मामले बढ़ने की आशंका : अरविंद नेताम
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने आशंका जताई है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से आदिवासी समाज में संपत्ति हड़पने की नीयत से लव जिहाद के मामले बढ़ सकते हैं । उन्होंने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में अपने संबोधन में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की थी । सर्व आदिवासी समाज के नेताओं ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से आदिवासी समाज में विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
जल जंगल जमीन हमारे देवता : राजाराम तोड़ेम
पूर्व विधायक एवं सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष राजाराम तोड़ेम का कहना है कि आदिवासी समाज में जमीन और पेड़ को देवी-देवता का दर्जा प्राप्त है। बहन बेटियों को जमीन में हिस्सेदारी न देने के पीछे मूल कारण है, कि बेटियों के विवाह के बाद जमीन दिए जाने पर जमीन के साथ देवी-देवता भी दूसरे कुटुंब में चले जाएंगे जो वह परिवार जमीन के साथ बहू कुल की देवी-देवता को स्वीकार नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से आदिवासी समाज में कलह उत्पन्न होगा।
कोर्ट के निर्णय से विकट स्थिति उत्पन्न हुई : दशरथ कश्यप
सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप ने कहा कि आदिवासी प्रकृति पूजक हैं, और जमीन से उगी फसल का अन्न कुल देवी-देवता को अर्पित करते हैं। समाज में एक गोत्र के अंदर संतानों का विवाह नहीं होता है, बेटी दूसरे गोत्र में विवाह उपरांत जाती है। ऐसी स्थिति में जमीन में यदि उसे हक दिया गया तो हमारी आस्था और प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा बिगड़ जाएगी । उन्हाेने बताया कि बेटियों को जमीन का हक भले न दें, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यथोचित सहयोग किया जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे