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—राहत व बचाव कार्यों की तैयारियों पर विशेष जोर, 46 राहत शिविर होंगे सक्रिय
वाराणसी, 31 जुलाई (हि.स.)। वाराणसी जिले में एक बार फिर गंगा और वरुणा नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सम्भावित बाढ़ की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। गुरुवार शाम मंडलायुक्त एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें बाढ़ राहत और बचाव कार्यों की तैयारियों की व्यापक समीक्षा की गई।
बैठक में केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी पूर्वानुमान का हवाला देते हुए बताया गया कि आने वाले दिनों में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है। मंडलायुक्त ने सभी सम्बंधित विभागों को अलर्ट रहने और पूर्व तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
—चिन्हित किए जाएं और शिविरों में शिफ्ट हों बाढ़ प्रभावित
मंडलायुक्त ने निर्देशित किया कि पूर्व में चिन्हित बाढ़ राहत शिविरों के अतिरिक्त और अधिक ऊंचे स्थानों को तुरंत चिन्हित किया जाए। विद्यालयों और अन्य बड़े भवनों को भी राहत शिविर के रूप में उपयोग के लिए तैयार रखने को कहा गया है। साथ ही, जो शिविर संभावित रूप से पानी से घिर सकते हैं, उनकी वैकल्पिक व्यवस्था करने पर भी जोर दिया गया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों को पहले से चिन्हित करते हुए सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए हैं। मानव के साथ-साथ मवेशियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें अस्थायी पशुशालाओं में भेजने की व्यवस्था की जाएगी।
—जल पुलिस और एनडीआरएफ रहे सतर्क
जल पुलिस और एनडीआरएफ को सतत गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम और पंचायत राज विभाग को साफ-सफाई, फॉगिंग तथा मच्छरों की रोकथाम हेतु नियमित अभियान चलाने को कहा गया है। चिकित्सा विभाग को ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरीन, ओआरएस, एंटी-स्नेक वेनम जैसे आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।
—पार्षदों से सहयोग की अपेक्षा
बैठक में मौजूद नगर निगम के पार्षदों से अपील की गई कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे ऊंचे स्थानों की पहचान करें जहां राहत शिविर बनाए जा सकते हैं। साथ ही सम्भावित प्रभावित लोगों को समय रहते शिविरों में भेजने में प्रशासन का सहयोग करें।
—46 राहत शिविर होंगे सक्रिय
प्रशासन द्वारा जानकारी दी गई कि जिले में कुल 46 राहत शिविर सक्रिय किए जाएंगे, जिनमें 25 शहरी क्षेत्रों में और 21 ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। इन शिविरों में पीने के पानी, शौचालयों की सफाई, बेड, चादरें, खाद्य सामग्री सहित सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। आवश्यकता पड़ने पर मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था भी की जाएगी।
—कंट्रोल रूम पूरी तरह सक्रिय
मंडलायुक्त ने बाढ़ कंट्रोल रूम को पूरी तरह सक्रिय रखने, लाउड हेलर और सायरन व्यवस्था को एक्टिव मोड में रखने तथा जल स्तर की लगातार निगरानी करने के निर्देश दिए। साथ ही, बाढ़ बुलेटिन नियमित रूप से जारी करने को कहा गया।
—इन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता
संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नगवां, अस्सी घाट, सामने घाट, मारुति नगर, कोनिया, सरैया, सलारपुर, नक्खी घाट, ढेलवरिया और हुकुलगंज जैसे शहरी व ग्रामीण इलाकों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डीपीआरओ, बीडीओ, एडीओ पंचायत और लेखपालों की जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें पशुओं के लिए चारा, भूसा और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) वंदिता श्रीवास्तव, सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी, एडीसीपी काशी, उप जिलाधिकारी सदर सहित राजस्व, नगर निगम, लोक निर्माण, सिंचाई विभाग व एनडीआरएफ के अधिकारी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी