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नैनीताल, 30 जुलाई (हि.स.)। उच्च न्यायालय ने काशीपुर निवासी याचिकाकर्ता पर दुष्कर्म एवं जान से मारने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को राहत देते हुए निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया है।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार काशीपुर निवासी विकास ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि उसपर 30 वर्षीय शादीशुदा महिला ने काशीपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराकर कहा था कि याचिकाकर्ता ने उससे शादी का झूठा झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया और धमकी दी कि अगर वह ऐसा नहीं करती है तो उसके वीडियो को सोशल मीडिया में वायरल कर देगा और उसे जान से मारने की धमकी दी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि घटना 2022 की है। घटना के समय महिला की उम्र 28 वर्ष थी और उसका 7 वर्षीय एक पुत्र भी है जबकि याचिकाकर्ता की उम्र घटना के समय 20 वर्ष थी। जो शादी की उम्र से कम है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह काशीपुर में किराए के मकान में रहता है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है जबकि महिला शादीशुदा है उसका 7 वर्षीय पुत्र भी है। महिला याचिकाकर्ता के पड़ोस में किराए पर रहती है। उसका विवाह विच्छेद भी नहीं हुआ है। महिला यूट्यूबर भी है। पुलिस ने मामले की जांच करते वक्त बिना मामले की सत्यता जाने चार्जशीट पेश कर दी और निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को समन जारी कर दिया। याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि निचली अदालत के आदेश एवं चार्जशीट को निरस्त कर दिया जाए। कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट काशीपुर के आदेश व पुलिस द्वारा पेश की गई चार्जशीट को निरस्त कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता