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नई दिल्ली, 31 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली में बाढ़ जैसी स्थिति आने के लिए नगर निकायों के बीच खराब समन्वय जिम्मेदार है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो बाढ़ के प्रबंधन के लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाने पर विचार करें। मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि नगर निकायों के बीच काफी भ्रम की स्थिति है। ऐसे में दिल्ली सरकार के किसी बड़े अधिकारी को इस पर विचार करना चाहिए कि बाढ़ से निपटने के लिए एक केंद्रीयकृत व्यवस्था कायम की जाए। इस व्यवस्था के तहत जरुरी नागरिक सेवाओं और सुविधाओं जैसे ड्रैनेज व्यवस्था इत्यादि के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। केंद्रीयकृत व्यवस्था में दिल्ली नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली विकास प्राधिकरण इत्यादि के बीच समन्वय कायम किया जाए। न्यायालय ने कहा कि आम तौर पर ऐसा देखा गया है कि ये एजेंसियां एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ना चाहती हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सारा दोष एजेंसियों का भी नहीं है। अधिकांश कॉलोनियों में देखा गया है कि नालों को वहां के स्थानीय निवासियों ने ब्लॉक कर दिया है। लोग इन नालों के ऊपर सीमेंट का रास्ता बना लेते हैं जिससे नाले जाम हो जाते हैं।
दरअसल, उच्च न्यायालय महारानी बाग कॉलोनी के बगल में बसे तैमूर नगर नाले में जलजमाव की स्थिति पर सुनवाई कर रहा है। इस इलाके में रहने वाले 14 झुग्गी वालों ने याचिका दायर कर पुनर्वास और वैकल्पिक आवास की मांग की है। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने ये आदेश जारी किया है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह