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रामगढ़, 30 जुलाई (हि.स.)। पिछले कई वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे रामगढ़ जिले के किसानों के सपने इस वर्ष भारी बारिश में बह गए। किसानों को उम्मीद से ज्यादा नुकसान इस वर्ष में भी खेती में होता दिखाई दे रहा है। अगर धान की फसल को छोड़ दिया जाए तो दलहन, तेलहन, मोटा अनाज और मक्के की खेती में भारी नुकसान होने की आशंका है। कृषि विभाग ने जो आंकड़ा अभी तक तैयार किया है उसमें किसानों को होने वाले नुकसान की झलक साफ दिखाई दे रही है।
तिल, सोयाबीन, सरगुजा की नहीं हुई बुआई
तेलहन की खेती रामगढ़ जिले के किसानों को पूरे साल आमदनी देती रहती है। लेकिन यहां अभी तक तिल, सोयाबीन, सरगुजा जैसे मुख्य फसल की खेती शुरू ही नहीं हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इसकी खेती शून्य प्रतिशत है। भारी बारिश की वजह से इन फसलों के लिए लगाए गए पौधे और और बीज बह गए। अब किसानों में यह असमंजस है कि अगर वह दोबारा इसकी खेती करते हैं तो उत्पादन नहीं के बराबर होगा। कुछ किसानों ने मूंगफली लगाई है। लेकिन 1000 हेक्टेयर में होने वाली खेती अभी तक मात्र 160 हेक्टेयर में ही हो पाई है।
मोटा अनाज को लेकर किसानों को हुआ भारी नुकसान
झारखंड में मोटा अनाज किसानों की आमदनी बेहतर करता है। 1070 हेक्टेयर में होने वाली इस खेती पर नजर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि किसान यहां भी मार खा गया है। अभी तक मात्र 6.5 फ़ीसदी आच्छादन हो पाया है। मडुवा, बाजरा, ज्वार की खेती भारी बारिश की वजह से चौपट हो गई है।
धान की फसल से बच सकती है किसानों की जेब
भारी बारिश ने धान की फसल को भी नुकसान पहुंचाया। लेकिन एक महीने की भारी बारिश के बाद जब मौसम खुला तो किसानों ने धान की फसल पर ही सबसे ज्यादा ध्यान देना शुरू किया। 35 हजार हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया था। वर्तमान समय में 12 हजार 283 हेक्टेयर में फसल लग चुकी है। इसमें हाइब्रिड, अधिक उपजशील और उन्नत किस्म के धान लगाए गए हैं। किसानों ने सबसे अधिक उपजशील बीजों पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया। 37 फीसदी आच्छादन अधिक उपजशील बीज के ही हुए हैं। हाइब्रिड बीज से 32.7 फ़ीसदी और उन्नत बीज से 33.9 फ़ीसदी भूमि आच्छादित हुई है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ इंद्रजीत ने कहा कि भारी बारिश ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है, लेकिन अभी भी दलहन और तेलहन की फसल किसान लगा सकते हैं। कुछ फसलों का समय बीत गया है, लेकिन अभी भी अगर उसकी खेती की जाए तो कुछ लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि समय पर लगाई गई फसल का उत्पादन अच्छा होता है। लेकिन बाद में भी लगी फसल किसानों का बैकबोन बन सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में किसान सिर्फ धन की खेती पर ही ध्यान दे रहे हैं। लेकिन उन्हें मक्का, सरगुजा, तिल की खेती भी करनी चाहिए, इससे उन्हें भविष्य में लाभ होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश