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रांची, 31 जुलाई (हि.स.)। योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में गुरुवार को योगदा सत्संग महाविद्यालय में दो दिवसीय स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जीवन और जलवायु विषय पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन स्वामी निश्चलानंद गिरी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हर व्यक्ति सुख चाहता है, दुख नहीं। लेकिन जीवन में सुख-दुख दोनों अपरिहार्य हैं। यदि हम सुखी हैं तो अहंकार नहीं करना चाहिए और अगर दुख में हैं तो निराश नहीं होना चाहिए। इन दोनों अवस्थाओं के बीच संतुलन बनाना ही जीवन की कला है।
उन्होंने कहा कि जीवन में क्या करना है और क्या नहीं, यह समझना बेहद जरूरी है। सोचने की आजादी सबको है, लेकिन सोच-समझकर ही निर्णय लेना चाहिए। अतीत को छोड़ वर्तमान में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीने की आवश्यकता है।
छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में जीवन मूल्यों की समझ विकसित करनी चाहिए ताकि भविष्य बेहतर बन सके। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान की सफलता शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थियों के सामूहिक प्रयासों से ही संभव होती है।
समारोह में कॉलेज की प्राचार्या प्रगति बक्सी, सचिव ए.के. सक्सेना, वाइस चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञान भूषण, कर्नल हिमांशु शेखर, मृणाल गौरव, सिमरन कौर, रवींद्र कुमार समेत कॉलेज के शिक्षक, विद्यार्थी एवं अन्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar