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श्रीनगर 30 जुलाई (हि.स.)। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परिवहन मंत्री सतीश शर्मा ने अत्याधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
मंत्री ने कश्मीर में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाने पर एक उच्च-स्तरीय हितधारकों की बैठक में यह बात कही। यह बैठक पीआई-आरएएचआई, उत्तरी क्षेत्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्लस्टर द्वारा जम्मू-कश्मीर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित की गई थी।
इस समारोह में स्कॉस्ट-के के उपकुलपति डॉ. नज़ीर अहमद गनई, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी, पीआई-आरएएचआई की सलाहकार, जतिंदर कौर अरोड़ा, जेकेएसटीआईसी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. नासिर शाह, वरिष्ठ वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों, विद्वानों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
सतीश शर्मा ने शेर-ए-कश्मीर शेख अब्दुल्ला के दूरदर्शी सुधारों का उल्लेख किया, जिन्होंने ऐतिहासिक भूमि-से-जोतने वाले को कानून बनाया था। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्तमान में कृषि में स्मार्ट तकनीकों और आधुनिक वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से इसी तरह का परिवर्तन लाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज का ध्यान कश्मीर में एक गतिशील विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर है। हमारे किसानों को न केवल सरकारी सहायता का लाभार्थी होना चाहिए बल्कि तकनीकी प्रगति में सक्रिय भागीदार भी होना चाहिए।
मंत्री ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार के कृषि परिवर्तन एजेंडे के कई प्रमुख स्तंभों को रेखांकित किया। इनमें स्मार्ट कृषि समाधान, जैव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप, कटाई-पश्चात प्रबंधन और मूल्य संवर्धन, कृषि में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, किसानों के लिए ई-कॉमर्स और प्रत्यक्ष बाजार पहुँच, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और सशक्त अनुसंधान एवं विकास शामिल हैं।
सतीश शर्मा ने स्कॉस्ट-के के युवा नवप्रवर्तकों द्वारा चार नए स्टार्ट-अप भी लॉन्च किए जो कृषि-तकनीक क्षेत्र में युवाओं के नेतृत्व वाली उद्यमिता के लिए सरकार के समर्थन का प्रतीक है। उन्होंने कश्मीर के युवाओं की नवोन्मेषी भावना की प्रशंसा की और एक अनुकूल अनुसंधान एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसे दिमाग हैं जो चमत्कार कर सकते हैं। उन्हें बस सही वातावरण की आवश्यकता होती है जैसे एक बीज को खिलने के लिए सूर्य के प्रकाश और पानी की आवश्यकता होती है।
इस अवसर पर बोलते हुए स्कॉस्ट-के के उपकुलपति ने एक जीवंत कृषि-प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु विश्वविद्यालय की पहलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये कदम रोज़गार क्षमता बढ़ाने, उपज में सुधार लाने और कृषक समुदाय की आय बढ़ाने के लिए हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी ने सरकार और शिक्षा जगत के बीच की खाई को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया जिससे युवा शोधकर्ताओं को अपने नवाचारों को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके। उन्होंने युवा नवप्रवर्तकों का समर्थन करने और उनके विचारों को आवश्यक समर्थन सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत छात्रवृत्ति का प्रस्ताव रखा।
इससे पहले मंत्री ने स्कॉस्ट-के परिसर का दौरा किया और छात्रों एवं नवप्रवर्तकों से बातचीत की। उन्हें क्षेत्र में सतत एवं जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिए चल रही कई शोध परियोजनाओं और विकसित की जा रही अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई।
हिन्दुस्थान समाचार / सुमन लता