सांस्कृतिक विकास का मॉडल बना उत्तर प्रदेश: प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी
पुस्तक का विमोचन करते मंचस्थ अतिथि


--बौद्ध शोध संस्थान में हुआ जनसेवक जयवीर पुस्तक का विमोचन

लखनऊ, 30 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के जीवन, संघर्ष, विचार और जनसेवा को प्रतिबिंबित करती पुस्तक ‘जनसेवक जयवीर’ का विमोचन बुधवार को लखनऊ के बौद्ध शोध संस्थान, गोमतीनगर में हुआ। यह पुस्तक प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने पुस्तक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जयवीर सिंह का जीवन राजनीति और जनसेवा के संतुलित समन्वय का उदाहरण है। यह पुस्तक न केवल एक राजनेता की यात्रा है, बल्कि प्रशासनिक नवाचारों और सांस्कृतिक चेतना की प्रेरक गाथा भी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश वह राज्य है जहां देश में सबसे पहले आक्रमण हुए थे लेकिन यह राज्य सांस्कृतिक विकास का मॉडल बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संकल्पों की वजह से उपलब्धि हासिल हुई है। गर्व की बात है कि जयवीर सिंह सेनानायक की भूमिका में हैं। उन्होंने कहा कि कौटिल्य ने कहा है कि किसी भी राज्य विकास के लिए इंद्रिय विजय होना आवश्यक है। हमें इस बात का फक्र है कि हमारे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री इन्द्रिय विजय यानि संयमी है। यही संयम पर्यटन मंत्री को भी ऊंचाइयों पर पहुंचा रहा है।

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने कहा कि जयवीर सिंह का व्यक्तित्व बहुत ही सरल और सहज है। मैं दूसरी जगह उनकी मिसाल देती हूं। विशिष्ट अतिथि, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि जयवीर सिंह ने संस्कृति और आस्था के केंद्रों को सशक्त करने का जो कार्य किया है, वह सनातन मूल्यों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह पुस्तक उनके उसी कार्य का दस्तावेज है। यह पुस्तक प्रत्येक संघर्षशील व्यक्ति के लिए धर्म ग्रंथ है।

पुस्तक के लेखक डॉ. वीरेंद्र कुमार एवं डॉ. सारिका ने लेखकीय वक्तव्य में बताया कि यह पुस्तक चार खण्डों में विभाजित है, जिसमें मंत्री जयवीर सिंह के प्रारम्भिक जीवन, राजनीतिक संघर्ष, पर्यटन और संस्कृति क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश डालती है। इसमें उन पर प्रकाशित लेखों व चित्रावली को समाहित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहा कि पाठक मंत्री जी की विचारधारा, प्रशासनिक दृष्टिकोण और लोकसेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को गहराई से समझ सकें।

कार्यक्रम में विशिष्ट रूप से उपस्थित पद्मश्री डॉ. विद्या विन्दु सिंह एवं प्रो. (डॉ.) सूर्य प्रसाद दीक्षित ने पुस्तक की सराहना करते हुए इसे नव पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि जनसेवक जयवीर पुस्तक लोकसेवा, पारदर्शिता और संवेदनशील प्रशासन की जीती-जागती मिसाल है। एकल अभियान के राष्ट्रीय संगठन प्रभारी माधवेन्द्र सिंह, वरिष्ठ वक्ता अतुल प्रताप सिंह एवं अन्य अतिथियों ने भी अपने सम्बोधन में पुस्तक के सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया ।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन