वाराणसी: गंगा में फिर उफान, बाढ़ की आशंका से तटवर्ती इलाकों में चिंता बढ़ी
राजघाट से गंगा में बाढ़ का दृष्य


राजघाट से गंगा में बाढ़ का दृष्य


— घाट किनारे के प्राचीन मंदिर जलमग्न, नाविकों और पुरोहितों की आजीविका पर संकट

वाराणसी, 30 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में कुछ दिनों की राहत के बाद एक बार फिर गंगा की लहरों में उफान देखा जा रहा है। बुधवार सुबह से गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे घाटों का संपर्क मार्ग एक बार फिर जलमग्न होने की कगार पर पहुंच गया है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार पूर्वाह्न 10 बजे गंगा का जलस्तर 68.77 मीटर दर्ज किया गया। जबकि जिले में चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का निशान 71.262 मीटर है।

गंगा में प्रति घंटे लगभग चार सेंटीमीटर की दर से हो रही वृद्धि के चलते जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड पर आ गई हैं। सुरक्षा के मद्देनजर गंगा में पीएसी के जवानों के साथ संयुक्त गश्त जारी है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और तेज हवाओं के कारण प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। गंगा के बढ़ते जलस्तर का असर सहायक नदी वरुणा पर भी पड़ा है। गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा भी उफान पर है, जिससे पुरानापुल से नक्खीघाट तक के निवासियों में बाढ़ की चिंता फिर गहराने लगी है। जलस्तर बढ़ने से गंगा घाट किनारे स्थित कई प्राचीन मंदिर जलमग्न हो चुके हैं। इससे घाटों पर बैठने वाले पुरोहितों और नाविकों की आजीविका संकट में पड़ गई है। गंगा में नौका विहार पूरी तरह बंद कर दिया गया है। हर साल इसी मौसम में ऐसी स्थिति बनती है, जिससे नाविक परिवारों को लगभग तीन माह तक आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। घाटों पर अब पंडे और पुरोहित अपने पूजा स्थलों को ऊपरी स्थानों पर स्थानांतरित करने में जुट गए हैं। प्रशासन ने भी तटवर्ती इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की अपील की है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी