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चंडीगढ़, 3 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए गैर एनसीआर जिलों में स्थित ईंट भट्ठों में धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है। ‘बायोमास पेलेट’ एक प्रकार से ठोस ईंधन है। लकड़ी, कृषि अवशेषों और अन्य चीजों को छोटे और बेलनाकार छर्रों का रूप दिया जाता है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस बाबत आदेश जारी किए हैं। इसके बाद गुरुवार को प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने सभी जिलों को पत्र जारी किया है।
खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेश नागर ने एक बयान में बताया कि एनसीआर क्षेत्र के जिलों में बायोमास ईंधन के प्रयोग का नियम पहले से ही लागू है। इसके साथ ही पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए अब हरियाणा के सभी जिलों में स्थित ईंट भट्ठों पर धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट के उपयोग अनिवार्य हो गया है।
राजेश नागर ने बताया कि हरियाणा के गैर-एनसीआर क्षेत्रों में सभी ईंट भट्ठों में धान की पराली आधारित बायोमास पेलेट के 50 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें न्यूनतम उपयोग का लक्ष्य तय कर दिया गया है। एक नवंबर 2025 से कम से कम 20 प्रतिशत सम्मिश्रण, एक नवंबर 2026 से कम से कम 30 प्रतिशत, एक नवंबर 2027 से कम से कम 40 प्रतिशत सम्मिश्रण और एक नवंबर 2028 से कम से कम 50 प्रतिशत सम्मिश्रण का उपयोग किया जाएगा।
मंत्री राजेश नागर ने बताया कि इस क्रम में हरियाणा के सभी गैर-एनसीआर जिलों अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, सिरसा एवं यमुनानगर को पत्र के माध्यम से त्वरित अनुपालन हेतु निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा