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बैरकपुर, 03 जुलाई (हि.स.)। बैरकपुर वायरलेस मोड़ स्थित एक निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में कथित हंगामे और डॉक्टरों को धमकाने के आरोप में भाजपा नेता एवं अधिवक्ता कौस्तव बागची को मोहनपुर थाना द्वारा तलब किया गया है। इस संबंध में गुरुवार को उन्हें नोटिस जारी किया गया और शुक्रवार सुबह 11 बजे पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा गया।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक भाजपा कार्यकर्ता के पिता की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पहले बीएन बोस अस्पताल और फिर सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। बाद में हालत गंभीर होने पर उन्हें बैरकपुर स्थित निजी अस्पताल लाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद रात में भाजपा नेता कौस्तव बागची अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों से कथित रूप से बदसलूकी की। सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल हो चुका है।
परिवार और बागची का आरोप है कि अस्पताल ने इलाज शुरू करने की बजाय पैकेज को लेकर बातचीत की और इसी दौरान एक स्टाफ मेंबर ने ऑक्सीजन मास्क हटा दिया, जिससे वृद्ध की मृत्यु हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लापरवाही नहीं, बल्कि आपराधिक उदासीनता है।
हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मरीज को पहले दो अस्पतालों से रेफर किया गया था और यहां लाते ही इमरजेंसी इलाज शुरू कर दिया गया था। अस्पताल के प्रबंध निदेशक विश्वजीत राय ने कहा कि रोगी को तत्काल सीसीयू में भर्ती किया गया था। परिवार ने यदि शिकायत की होती तो पोस्टमार्टम से मौत के कारणों का पता लगाया जा सकता था।
इस बीच, प्रोग्रेसिव हेल्थ एसोसिएशन की उत्तर 24 परगना इकाई के चार डॉक्टरों की एक टीम ने अस्पताल का दौरा किया और घटना की निंदा की। प्रतिनिधि डॉ. विवर्तन साहा ने कहा है कि डॉक्टर्स डे के दिन यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। डॉक्टरों को डराने-धमकाने का जो प्रयास किया गया, वह समाज में गलत संदेश देता है।
डॉ. सुमित साहा ने कहा कि कोई भी डॉक्टर जानबूझकर इलाज में लापरवाही नहीं करता। अगर कोई शिकायत होती तो कानूनन रास्ता अपनाया जा सकता था, न कि कानून अपने हाथ में लिया जाता।
कौस्तव बागची ने तलब किए जाने पर प्रतिक्रिया दी है कि इस तरह के नोटिस मुझे पहले भी मिले हैं। मैं जानता हूं इससे कैसे निपटना है। सरकार मुझे डराने की कोशिश कर रही है, लेकिन मैं कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने मृतक के परिवार पर दबाव डालकर शिकायत वापस लेने को मजबूर किया।
तृणमूल सांसद पार्थ भौमिक ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जब अस्पताल ने एंजियोग्राफी के लिए सहमति पत्र मांगा, तब परिवार की ओर से देरी की गई। इससे इलाज में विलंब हुआ और दुर्भाग्यवश मरीज की मृत्यु हो गई। एक बाहरी व्यक्ति ने अस्पताल में आकर डॉक्टरों को गाली दी, जो निंदनीय है। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय