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कोलकाता, 3 जुलाई (हि.स.)।
भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल के केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने राज्य में वाम मोर्चा शासन के दौरान देखी गई हताशा और हिंसा को अब नई बर्बरता के स्तर तक पहुंचा दिया है। उन्होंने दावा किया कि महिलाओं पर अत्याचारों का बढ़ता सिलसिला अंततः टीएमसी को राजनीतिक रूप से खत्म कर देगा।
मालवीय ने एक लोकप्रिय बंगाली कहावत का हवाला देते हुए कहा, पिपिलिकर पाखा गाछे मोरिबार तारे — यानी चींटी के पंख तभी उगते हैं जब उसकी मृत्यु निकट होती है। उन्होंने कहा, टीएमसी का शासन बंगाल की बेटियों के खून और आंसुओं में डूबा हुआ है।
उन्होंने एक बयान में कहा, संदेशखाली में हिंदू महिलाओं पर हुए भयावह अत्याचार, जहां आरोपित शेख शाहजहां को पार्टी का संरक्षण मिला, से लेकर कॉलेज छात्राओं के यौन शोषण तक, जिसमें मनोजीत मिश्रा जैसे शिकारियों को पार्टी की सरपरस्ती प्राप्त है — टीएमसी आज महिलाओं के खिलाफ संस्थागत हिंसा का प्रतीक बन चुकी है।
मालवीय ने ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं का जिक्र करते हुए टीएमसी के शासन की आलोचना की। उन्होंने लिखा, महाभारत से लेकर रावण के पतन तक, इतिहास ने कभी भी महिलाओं पर अत्याचार करने वालों को नहीं बख्शा। टीएमसी भी अपवाद नहीं होगी।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने हालिया एक घटना का उल्लेख किया, जिसमें टीएमसी छात्र परिषद के एक नेता पर एक युवती को भावनात्मक और शारीरिक रूप से शोषित करने और फिर शादी का झूठा वादा कर छोड़ देने का आरोप है। मृत युवती की आत्महत्या की घटना के लिए मालवीय ने टीएमसी नेता पापोन विश्वास को जिम्मेदार ठहराया, जो नदिया जिले के एक पंचायत सदस्य का बेटा है।
उन्होंने कहा, कसबा की वीभत्स घटना अभी धुंधली भी नहीं हुई थी, और अब यह। यह केवल धोखा नहीं है — यह कानून की नजर में बलात्कार है।
अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि आरोपितों को बचाना, शिकारियों को महिमामंडित करना और न्याय की आवाज को दबाना अब टीएमसी के शासन में एक खौफनाक परंपरा बन गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, और ममता बनर्जी? वे चुप हैं, तमाशबीन बनी हुई हैं, जबकि उनकी पार्टी बंगाल को महिलाओं के लिए एक दुःस्वप्न में बदल रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर