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कोलकाता, 29 जुलाई (हि. स.)। मालदह के एक प्रवासी श्रमिक के साथ कथित बदसलूकी के मामले में दिल्ली पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस का कहना है कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, वह एक राजनीतिक साजिश के तहत बनाया गया था। इसके तुरंत बाद ही सोमवार रात पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोला। शुभेंदु ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, जनता जान गई है कि ममता झूठी हैं। मुख्यमंत्री ने 27 जुलाई, 2025 को एक पोस्ट में दावा किया था कि दिल्ली में आधार सत्यापन के नाम पर दिल्ली पुलिस ने एक बंगाली भाषी महिला और उसके बेटे की पिटाई की।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, महिला सजनूर परवीन ने शुरुआत में दावा किया था कि 25 जुलाई को चार लोग, जो खुद को पुलिसकर्मी बता रहे थे, उसके घर आए और उसके परिवार पर बांग्लादेशी नागरिक होने का आरोप लगाया। अगले दिन, यानी 26 जुलाई को, उसे और उसके दो बच्चों को जबरन मंगलम अस्पताल के पास एक पार्क में ले गए, उन्हें जबरन हिरासत में लिया और 25 हजार रुपये की फिरौती देने के बाद उन्हें छोड़ने की धमकी दी लेकिन सीसीटीवी फुटेज में विसंगतियां सामने आ रही हैं! इसमें साफ दिख रहा है कि वह अपने बच्चों के साथ अकेली घर से निकल रही है, जो बल प्रयोग के दावे से मेल नहीं खाता। सजनूर परवीन पहले ही स्वीकार कर चुकी हैं कि उन्होंने कुछ लोगों के बहकावे में आकर यह झूठी कहानी गढ़ी थी। सच तो यह है कि उनके मामा, जो एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, ने एक पत्रकार के कहने पर यह झूठी कहानी गढ़ी थी और सोशल मीडिया पर शेयर किया गया वीडियो पूरी तरह से झूठा है। ऐसी कई झूठी कहानियां फैलाई जाएंगी, इसलिए इस बार कानों से नहीं, आंखों से यकीन कीजिए।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया था कि आधार जांच के नाम पर बंगाल के एक प्रवासी श्रमिक की पत्नी और बच्चों को दिल्ली में पुलिस द्वारा पीटा गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए इसे भाजपा की भाषा आतंकवाद की संज्ञा दी थी। ममता बनर्जी ने सवाल किया था कि क्या अब बंगालियों को सिर्फ अपनी भाषा बोलने के लिए भी सताया जाएगा?
दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद स्पष्ट किया है कि वायरल वीडियो पूरी तरह से गढ़ा गया था। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार महिला अपने बच्चों के साथ सामान्य रूप से बाहर निकलती दिखाई देती है, और कहीं कोई मारपीट नहीं हो रही।
पुलिस के अनुसार, महिला ने पूछताछ में स्वीकार किया कि एक राजनीतिक रूप से सक्रिय रिश्तेदार के कहने पर इस कहानी को बनाया गया। इसी व्यक्ति ने वीडियो को वायरल भी किया ताकि दिल्ली पुलिस और भाजपा को बदनाम किया जा सके।
बहरहाल, इस पूरी घटना ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर उबाल ला दिया है। जहां एक ओर भाजपा ने ममता सरकार पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है, वहीं तृणमूल कांग्रेस अब भी दावा कर रही है कि बंगालियों के साथ अन्य राज्यों में अन्याय हो रहा है। जनता के सामने अब यह सवाल है कि क्या सच्चाई सामने आ चुकी है या यह विवाद और गहराएगा?
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय