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कोलकाता, 29 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर वोटर लिस्ट से नाम हटाने के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया है। मंगलवार को बीरभूम जिले में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के मंच से उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर किसी वैध मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाया जाता है, तो उसे इसका कड़ा विरोध करना चाहिए। ममता ने बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को भी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर लापरवाही सामने आई तो उनसे सख्ती से जवाब तलब किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम बंगाल में एक भी वैध मतदाता को वोटर लिस्ट से बाहर नहीं होने देंगे। अगर किसी का नाम हटाया गया है तो वह जरूर सवाल उठाए—मैं जेन्युइन वोटर हूं, मेरा नाम क्यों हटाया गया? यह मेरा संवैधानिक अधिकार है और मैं इसे छोड़ूंगी नहीं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस पूरी प्रक्रिया के ज़रिए दरअसल एनआरसी को लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसलिए उन्होंने जनता से अपील की कि सभी लोग सुनिश्चित करें कि उनका नाम नई मतदाता सूची में दर्ज हो। खासकर पहली बार वोटर बनने जा रहे लोगों और प्रवासी कामगारों को भी उन्होंने आगाह किया कि वे समय रहते वोटर लिस्ट में अपना नाम जरूर जुड़वाएं।
कार्यक्रम के दौरान ममता ने यह भी जानकारी दी कि जिन राज्यकर्मी को बीएलओ की भूमिका में नियुक्त किया जाएगा, उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे जिम्मेदारी से काम कर सकें। उन्होंने दोहराया कि चुनाव के दौरान भले ही बीएलओ चुनाव आयोग के अधीन हो जाते हैं, लेकिन सामान्य दिनों में वे राज्य सरकार के कर्मचारी ही होते हैं।
मुख्यमंत्री के इस आह्वान पर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री संविधान पढ़ी होतीं तो इस तरह की बातें नहीं करतीं। शुभेंदु ने कहा कि मतदाता सूची से अवैध और फर्जी नाम हर हाल में हटाए जाएंगे और कोई इसे रोक नहीं सकता।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय