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जगदलपुर, 26 जुलाई (हि.स.)। बस्तर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल तीरथगढ़ जलप्रपात पर स्थित पर्यटन विभाग का वर्षों से बंद पड़ा मोटल अब 30 वर्षों के लिए एक निजी संस्था को लीज पर सौंपा गया है।
बस्तर जिले में चित्रकोट की तर्ज पर तीरथगढ़ में भी दस साल पहले पर्यटकों के लिए ठहरने और भोजन की व्यवस्था को लेकर पर्यटन विभाग ने एक बहुप्रतीक्षित योजना बनाई थी। लेकिन निर्माण के दौरान ही यह भवन कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया। कई सालों से यह मोटल बंद पड़ा था और खंडहर में तब्दील होने की ओर अग्रसर था। अब पर्यटन विभाग ने इसे एक निजी संस्था को लीज पर देकर फिर से शुरू करने के निर्णय से बहुत जल्द ही यह मोटल आबाद हो सकेगा।
चित्रकोट की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधाएं देने के उद्देश्य से तीरथगढ़ जलप्रपात पर स्थित पर्यटन विभाग ने एक माेटल बनाया गया था, लेकिन कुप्रबंधन और उदासीनता के चलते कभी सक्रिय नहीं हो सका। वर्तमान में मोटल में रिनोवेशन का कार्य जोरों पर है। भवन की मरम्मत के साथ-साथ परिसर में नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, ताकि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान आने वाले पर्यटकों को रात्रि विश्राम व भोजन की सुविधा मिल सके।
स्थानीय ग्रामीण लिंगराज, हेमवती बघेल, पूर्णिमा का मानना है कि, मोटल के चालू होने से न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अगर निजी संस्था इसे सही तरीके से चलाती है, तो यह कांगेर घाटी सहित तीरथगढ़ के पर्यटन को नई दिशा दे सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे