भूमिपुत्रों की रक्षा के लिए अतिक्रमण हटाना ज़रूरी: मुख्यमंत्री
सीएम मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा गुरुवार को गुवाहाटी के जीएमसीएच ऑडिटोरियम में टी गार्डेन मॉडल स्कूलों और आदर्श विद्यालयों के हेडमास्टरों के साथ संवाद के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए।


गुवाहाटी, 26 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने स्पष्ट किया है कि राज्य में अतिक्रमण विरोधी अभियान भावनात्मक नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया और न्यायालयों के आदेशों के अनुसार व्यवस्थित रूप से चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अभियान किसी धर्म या वोट बैंक की राजनीति के लिए नहीं, बल्कि असम के भूमिपुत्रों और स्वदेशी संस्कृति की सुरक्षा के लिए चलाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी केवल एक धर्म विशेष के लिए वोट बैंक की राजनीति करती है। जब भी प्रशासन लखीमपुर में अतिक्रमण हटाता है, कांग्रेस यह झूठा प्रचार करती है कि अहोम समुदाय पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। इसी तरह, जब निचले असम के बरपेटा या ग्वालपाड़ा में अवैध अतिक्रमण हटाया जाता है, तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अल्पसंख्यकों पर हमले का आरोप लगाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे अल्पसंख्यक हों या बहुसंख्यक, कोई भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं कर सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह बरपेटा और धुबड़ी में अतिक्रमण हटाया गया, उसी तरह काजीरंगा और लखीमपुर में भी कार्रवाई की गई है। कांग्रेस को धर्म के नाम पर राजनीति करने की बजाय स्वदेशी असमिया के हक में आवाज़ उठानी चाहिए। अगर एपीसीसी अध्यक्ष गौरव गोगोई और धुबड़ी सांसद रकीबुल हुसैन अतिक्रमणकारियों से शांति से स्थान खाली करने की अपील करें, तो कोई हिंसात्मक घटना नहीं होगी।

उन्होंने सरूपथार उपमंडल के उरियामघाट, बिद्यापुर स्थित प्रस्तावित अतिक्रमण स्थल का दौरा करते हुए कहा कि उरियामघाट में हर परिवार ने 300–400 बीघा जंगल की ज़मीन पर अवैध कब्जा कर लिया है और आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति बना ली है, जो असम के स्वदेशी नागरिकों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन गया है। राज्य सरकार इसे सख्ती से निपटेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के लिए अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। यह केवल ज़मीन की लड़ाई नहीं है, बल्कि असम की सांस्कृतिक विरासत और अस्मिता की रक्षा का अभियान है, जिसे राज्य की जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है। उन्होंने अपील की कि किसी भी इलाके में अतिक्रमण दिखे, तो स्थानीय लोग और पार्टी कार्यकर्ता तुरंत प्रशासन को इसकी सूचना दें।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश