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अयोध्या, 26 जुलाई (हि.स.)। रामनगरी की सुप्रसिद्ध पीठ श्रीराम जानकी नूतन बरई चाैरसिया समाज मंदिर ऋणमोचन घाट के पूर्वाचार्य महंत वेंकट दास महाराज काे शिद्दत से याद किया गया। अवसर उनकी 47वीं पुण्यतिथि महाेत्सव का रहा। उनकी पुण्यतिथि मंदिर परिसर में निष्ठापूर्वक मनाई गई। संताें ने उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया। इस अवसर पर शनिवार को मठ प्रांगण में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा में अयोध्यानगरी के विशिष्ट संत-महंत, धर्माचार्यों ने साकेतवासी महंत के चित्रपट पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। साथ ही उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी व उनके कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश भी डाला। इस माैके पर श्रीराम जानकी नूतन बरई चाैरसिया समाज मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर महंत रामपत दास महाराज ने कहा कि उनके गुरुदेव अप्रतिम प्रतिभा के धनी संत रहे। जाे भजनानंदी संत हाेने के साथ-साथ गाै एवं संत सेवी थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही उदार था। सरलता ताे उनमें देखते ही झलकती थी। उनके अंदर संतत्व के सारे गुण रहे। उन्होंने आश्रम का सर्वांगीण विकास किया। गुरुदेव के आशीर्वाद से मठ अपनी उत्तरोत्तर समृद्धि की ओर अग्रसर है। जहां ठाकुर जी की सेवा सुचार रूप से चल रही है। इसके अलावा मंदिर में सभी उत्सव, समैया, त्याेहार आदि परंपरागत रूप से मनाया जा रहा। जिसमें सम्मिलित होकर मंदिर से जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकर पुण्य के भागीदार बनते हैं। गुरुदेव ने सेवा काे अपना धर्म माना और उसी काे अंगीकार किया। साथ ही अपने शिष्य-अनुयायियाें काे भी सेवा धर्म का पाठ पढ़ाया। सेवा धर्म के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि सेवा ही परमाे धर्म: अर्थात सेवा से बढ़कर और कोई दूसरा धर्म नहीं है। पुण्यतिथि पर संत-महंत व मंदिर से जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकराें ने प्रसाद ग्रहण किया। अंत में महंत रामपत दास महाराज ने आए हुए संत-महंत, धर्माचार्यों का स्वागत-सम्मान कर भेंट, विदाई पुण्यतिथि पर मणिरामदास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री, शत्राेहन निवास के महंत पवन कुमार दास शास्त्री, गहाेई मंदिर के महंत रामलखन शरण, हनुमत ध्यान भवन के महंत पवन कुमार दास, महंत रामलाेचन शरण, महंत बागीश शरण, प्रहलाद शरण आदि संत-महंत और मंदिर से जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकर माैजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय