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नई दिल्ली, 25 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस संबंध में पांच विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। जिनमें अफ्रीकी मूल के लोग भी शामिल हैं। यह सिंडिकेट नाइजीरिया, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड और यूके तक फैला हुआ था और भारत में कॉल सेंटर मॉडल पर आधारित 'ड्रग डिलीवरी नेटवर्क' चला रहा था।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार क्राइम ब्रांच ने इस नेटवर्क से जुड़े आरोपितों के कब्जे से करीब 2.7 किलो कोकीन, 1 किलो से अधिक एमडीएमए और 1 किलो गांजा बरामद किया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी गई है। साथ ही एक होंडा सिटी कार, 2,07,500 नकद, फर्जी पासपोर्ट, मोबाइल फोन, और ड्रग सप्लाई के रिकॉर्ड वाली डायरी भी जब्त की गई है। पकड़े गए आरोपितों की पहचान कैमेन फिलिप, आइवरी कोस्ट निवासी कोउलाए फिलिप, नाइजीरिया निवासी गॉडविन जॉन उर्फ अडोर, साउथ दिल्ली निवासी केलेची चिकवे उर्फ विक्टर और इबे चिनेडु ऑस्टिन उर्फ एलिनवा के रूप में हुई है।
सिंडिकेट का खुलासा ऐसे हुआ
पुलिस अधिकारी के अनुसार 13 जून को दिल्ली के मोती नगर स्थित एक कोरियर सेंटर पर छापेमारी के दौरान पुलिस को एक संदिग्ध पार्सल मिला था। जिसमें 895 ग्राम एमडीएमए छुपा हुआ था। इसके बाद मामले की तफ्तीश शुरू हुई और कोरियर के जरिए भेजे जा रहे ड्रग्स की कड़ी पकड़ में आई। क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर अरविंद कुमार की देखरेख में पुलिस ने कैमून के नागरिक कैमेन फिलिप को गिरफ्तार किया। जिसके पास से 2.012 किलो कोकीन बरामद की गई। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह नाइजीरियाई ड्रग किंगपिन 'कैलिस्टस उर्फ कैलिस' के संपर्क में था और भारत में उसका प्रमुख संचालक था। फिलिप ने पूछताछ में खुलासा किया कि यह सिंडिकेट भारत में ग्राहकों से व्हाट्सऐप कॉल्स के माध्यम से ऑर्डर लेता था और फूड डिलीवरी ऐप जैसी मॉडल पर ड्रग्स की होम डिलीवरी करता था। ड्रग्स दक्षिण दिल्ली, साकेत, वसंत कुंज जैसे क्षेत्रों में युवाओं को बेची जाती थी। पुलिस अधिकारी के अनुसार आरोपित की निशानदेही पर अन्य आरोपितों को दबोचा।
ड्रग्स सप्लाई का तरीका पुलिस के अनुसार कोकीन को नाइजीरिया से भारतीय महिलाओं द्वारा सामानों में छुपाकर भारत लाया जाता था। ड्रग्स को 1:4 के अनुपात में मिलाकर मात्रा बढ़ाई जाती थी ताकि ज्यादा मुनाफा हो। इसके अलावा कस्टमर डाटा नाइजीरिया में सुरक्षित रखा जाता था ताकि डिलीवरी एजेंट पकड़े जाने पर भी नेटवर्क पर असर न हो। वहीं डिलीवरी बॉय चेक शर्ट और ब्लैक हेलमेट पहनकर ग्राहक से मिलता था, जिससे पहचान आसान हो सके। पुलिस अधिकारी के अनुसार सिंडिकेट नाइजीरिया में कॉल सेंटर मॉडल पर काम करता था। भारतीय ग्राहक व्हाट्सऐप या कॉल के जरिए ड्रग्स का ऑर्डर देते थे। ड्रग्स की डिलीवरी डिलीवरी बॉय के जरिए होती थी और रुपये हवाला नेटवर्क से विदेश भेजा जाता था।
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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी