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हरिद्वार, 24 जुलाई (हि.स.)। श्रावण मास में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। श्रावण मास की शिवरात्रि के बाद आने वाली पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनायी जाती है। यूं तो पूरे श्रावण मास भगवान शिव की पूजा की जाती है, किन्तु इसी माह भगवान शिव का श्रृंगार कहे जाने वाले नागों को भी पूजा जाता है।
इस वर्ष नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई मंगलवार को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11. 28 बजे शुरू होगी और 29 जुलाई की रात 12. 23 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार नाग पंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन शिव योग, सिद्ध योग, और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जो इसे और अधिक शुभ बनाता है।
पंडित देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने का विशेष महत्व है। पुराणों में नागों को भगवान शिव का अंश माना गया है। मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष, राहु-केतु के प्रभाव और जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह पर्व दुर्भावनाओं और विषैले विचारों से भी छुटकारा दिलाने वाला माना जाता है।
नाग पंचमी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4.32 बजे से लेकर दोपहर 1.25 बजे तक रहेगा। श्रद्धालु इस दिन शिव मंदिर या नाग देवता के मंदिर जाकर षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। अगर पास में नाग मंदिर नहीं हो, तो शिवलिंग पर दूध, पुष्प और चावल अर्पित करके नाग पूजा की जा सकती है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक, इस बार नाग पंचमी विशेष संयोगों के कारण अधिक फलदायक रहेगी। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग, राहु-केतु दोष या अन्य ग्रह बाधा हो, तो इस दिन पूजा-अर्चना विशेष रूप से करनी चाहिए। सावन का माह में पंचमी का दिन शिव और नाग देवता दोनों की कृपा पाने के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला