अंबिकापुर: मैनपाट में हाथियों का उत्पात, सप्ताहभर में आधा दर्जन मकानों पर धावा, अनाज और फसलों को किया बर्बाद
मैनपाट वनपरिक्षेत्र में हाथियों का आतंक


हाथियों की निगरानी में जुटा वन विभाग


गजराज वाहन से हाथियों पर नज़र


हाथियों के डर से रतजगा करते ग्रामीण


अंबिकापुर, 24 जुलाई (हि.स.)। सरगुजा जिले का मैनपाट, जिसे 'छत्तीसगढ़ का शिमला' कहा जाता है, वहां हाथियों के झुंड ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। बीते सप्ताहभर में जंगली हाथियों के दल ने आधा दर्जन से ज्यादा कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचाया है और खेतों की खड़ी फसलें रौंद दी हैं। ताज़ा घटना बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात मैनपाट के बिजलहवा गांव में सामने आई, जहां एक ग्रामीण का घर हाथियों ने तोड़ डाला और घर में रखा अनाज भी खा गए।

वन विभाग के अनुसार मैनपाट वनपरिक्षेत्र में इस समय दस हाथियों का दल सक्रिय है। इनमें से आठ हाथी एक साथ समूह में विचरण कर रहे हैं, जबकि दो अन्य अलग-अलग दिशाओं में घूमते देखे गए हैं। एक हाथी घोड़ा घाट की तरफ गया था, जबकि दूसरा दक्षिण दिशा में निकल गया था जिसे वन अमले ने जंगल की ओर खदेड़ा।

मैनपाट वनपरिक्षेत्र के रेंजर फेंकू प्रसाद चौबे ने बताया कि “विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। हम हाथियों की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। कोटवारों और ग्रामीणों की मदद से निगरानी की जा रही है। गजराज वाहन भी मौके पर भेजा गया है ताकि हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर किया जा सके।”

श्री चौबे ने बताया कि, “ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे रात के समय पक्के मकानों में ही रहें और समूह में रहें। साथ ही वन विभाग द्वारा हाथियों की संभावित दिशा में पहले पहुंचकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है ताकि जान-माल का नुकसान रोका जा सके।”

स्थानीय लोग इस समस्या से परेशान हैं क्योंकि हाथियों का दल बार-बार रिहायशी इलाकों में लौट आता है। कई ग्रामीणों ने बताया कि फसलों के साथ-साथ घरों में रखे अनाज, सब्जियां और अन्य सामान भी हाथी बर्बाद कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / पारस नाथ सिंह