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वाराणसी, 24 जुलाई (हि.स.)। काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में कदम कदम पर दिव्य मंदिर विराजमान है। इनमें कुछ मंदिर राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं, तो कुछ स्थानीय जनमानस की गहरी आस्था का केंद्र हैं। ऐसा ही एक अद्भुत और दुर्लभ पंच मंदिर (पंचमेश्वर मंदिर)अस्सी-दुर्गाकुंड मार्ग पर स्थित है, जहां श्रद्धालु एक साथ भगवान शिव और भगवान लक्ष्मी नारायण (विष्णु) के दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पांच प्रमुख देवी-देवता एक ही परिसर में विराजमान हैं। मंदिर में लक्ष्मीनारायण, शिव, राधा-कृष्ण, राम-सीता, लक्ष्मण और मयूरेश्वर शिव की मूर्तियां हैं। मंदिर में भगवान भोले के साथ चराचर जगत के पालन लक्ष्मी नारायण (भगवान विष्णु) एक साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।
यह पंचमंदिर वास्तुकला और श्रद्धा का एक अनुपम संगम है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बिहार के सुसंग स्टेट की ओर से कराया गया था। मंदिर पूर्वमुखी है और पांच शिखरों पर स्थित है। जिनमें एक मुख्य शिखर के चारों ओर चार छोटे शिखर हैं। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है, जिसमें एक मंडप और अर्ध-मंडप है। मंदिर के गर्भगृह की बनावट एक अनियमित षट्कोण की तरह है, जो इसे विशिष्ट बनाता है। मंदिर के भीतर भगवान लक्ष्मी नारायण मध्य में विराजमान हैं। उनके बाईं ओर भगवान शिव माता पार्वती और गणेश कार्तिकेय सहित पूरे परिवार के साथ स्थित हैं, जबकि दाईं ओर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण हैं। वहीं, श्रीकृष्ण की बालरूप में झूले में विराजमान विग्रह भी आकर्षण का केंद्र है। उनके सामने ही भगवान राम का भव्य दरबार स्थित है।
पुजारी जयशंकर मिश्र के अनुसार, मंदिर में नियमित भोग और आरती के साथ ही संध्या पूजन में पांचों देवताओं की एक साथ पूजा की जाती है। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ उमड़ती है, क्योंकि यह महीना शिव आराधना का होता है। मंदिर न केवल भक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह पंचायतन स्थापत्य शैली का भी सुंदर उदाहरण है। यहां का शांत वातावरण, वास्तुशिल्प और दिव्य मूर्तियां इसे काशी के अद्वितीय मंदिरों में स्थान दिलाते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी