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जयपुर, 23 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर न्यायिक कर्मचारियों के चल रहे सामूहिक अवकाश को लेकर रजिस्ट्रार न्यायिक से गुरुवार को विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश इबरान और हांडू की सजा स्थगन याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार की ओर से याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मामलों की सूची पेश की गई। वहीं याचिकाकर्ता के वकील जियाउर रहमान ने कहा कि इनमें से अधिकांश मामलों में याचिकाकर्ता दोषमुक्त हो चुका है। हालांकि निचली अदालत में न्यायिक अधिकारियों के सामूहिक अवकाश पर होने के कारण इन मामलों की प्रमाणित प्रति जारी नहीं हो पाई है। इसलिए अदालत में इनकी प्रति पेश नहीं की गई है। इस पर अदालत ने रजिस्ट्रार न्यायिक को इस संबंध में गुरुवार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को निर्देश दिए हैं। जिला न्यायाधीशों को भेजे पत्र में कहा गया है कि अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारी सिविल सेवा आचरण नियमों की अवहेलना करते हुए अविधिक रूप से 18 जुलाई, 2025 से स्वेच्छा से अनुपस्थित चल रहे हैं। जिसके चलते अदालतों का न्यायिक कामकाज विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है। ऐसे में उन्हें निर्देश दिए जाते हैं कि वे अपने न्याय क्षेत्र में पदस्थापित समस्त कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश जारी करें। रजिस्ट्रार जनरल के निर्देश की पालना में जिला एवं सत्र न्यायाधीशों ने कार्यालय आदेश जारी कर कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होकर पदीय कर्तव्यों का निर्वहन करने को कहा है। गौरतलब है कि प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले न्यायिक कर्मचारी कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर 18 जुलाई से सार्वजनिक अवकाश पर चल रहे हैं। वहीं जयपुर में कुछ कर्मचारी भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि दो साल पूर्व हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने कैडर पुनर्गठन का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक कैडर पुनर्गठन नहीं किया। जबकि राज्य सरकार के दूसरे विभागों में कैडर पुनर्गठन पूर्व में ही किया जा चुका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक