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जयपुर, 23 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर जजों और आईएएस अधिकारी में से आईएएस को अधिक शक्तिशाली बताने का बयान देने से जुड़े मामले में कोचिंग संचालक विकास दिव्यकीर्ति को बड़ी राहत दी है। अदालत ने मामले में दिव्यकीर्ति को तलब करने के अजमेर की निचली अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश विकास दिव्यकीर्ति की आपराधिक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता पुनीत सिंघवी ने अदालत को बताया कि वकील कमलेश मंडोलिया की शिकायत पर अजमेर के न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 ने उन्हें समन से तलब किया है। जबकि याचिकाकर्ता की ओर से किसी की भावना को आहत नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे थे और उस दौरान इस संबंध में विद्यार्थियों से सवाल जवाब हुए थे, जिन्हें तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। वहीं शिकायतकर्ता की इसमें किसी तरह की मानहानि भी नहीं हुए है। ऐसे में निचली अदालत की कार्रवाई को रद्द किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि अजमेर के वकील कमलेश मंडोलिया ने स्थानीय अदालत में विकास दिव्यकीर्ति के खिलाफ मानहानि परिवाद पेश किया था। जिसमें कहा गया कि दिव्यकीर्ति ने सोशल मीडिया पर अपने 'आईएएस बनाम जज-कौन ज्यादा ताकतवर' वीडियो में जजों पर गंभीर टिप्पणी की थी। इसके साथ ही दिव्यकीर्ति ने अपने विद्यार्थियों को बताया था कि आईएएस अधिकारी जज से अधिक पावरफुल होता है। इस पूरे वीडियो से पूरे न्यायिक जगत के लिए अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणी की गई है। जिससे वकील होने के नाते उनका भी अपमान हुआ है। परिवाद पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दिव्यकीर्ति को समन जारी कर तलब किया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक