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जयपुर, 23 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली नगर परिषद की निलंबित सभापति रशीदा खातून को राहत देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में दायर याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश रशीदा खातून की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ चल रही न्यायिक जांच तीन माह में पूरी की जाए। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि को अनंतकाल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। जनप्रतिनिधि से गरिमा और ईमानदारी के साथ काम करने की उम्मीद की जाती है।
याचिका में कहा गया कि उसे राजनीतिक द्वेषता के चलते निलंबित किया गया है। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उस पर झूठे आरोप लगाए गए और बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए मनमाने तरीके से निलंबित किया गया। जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने कहा कि याचिकाकर्ता पर पद का दुरुपयोग कर पट्टा जारी करने का आरोप है। मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने एडीएम से जांच कराई थी। एडीएम ने अपनी जांच में अनियमिता और पद के दुरुपयोग के आरोप को सही माना था। ऐसे में न्यायिक जांच के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए याचिकाकर्ता को जुलाई, 2024 में तय प्रक्रिया का पालन करते हुए वार्ड पार्षद और सभापति पद से निलंबित किया गया था। दूसरी ओर मामले में शिकायतकर्ता अशोक पाठक के अधिवक्ता प्रेम शंकर शर्मा ने बताया कि सभापति रहते याचिकाकर्ता ने शिव मंदिर की जमीन का पट्टा अपने पुत्र के नाम जारी कर दिया था। इस मामले में कराई गई जांच में वह दोषी पाई गई थी। ऐसे में उनका निलंबन सही था। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि कांग्रेस की रशीदा खातून दिसंबर, 2020 में नगर परिषद के सभापति के तौर पर निर्वाचित हुई थी। इसके बाद 16 जुलाई, 2024 को उन्हें निलंबित किया गया और 17 मार्च को राजरानी शर्मा को सभापति नियुक्त किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक