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कोलकाता, 02 जुलाई (हि.स.)। कसबा लॉ कॉलेज में हुई जघन्य घटना के बाद पूरे राज्य में जहां एक ओर भारी जनाक्रोश देखा जा रहा है, वहीं अब शैक्षणिक संस्थान भी इस मामले में सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं। इसी कड़ी में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने अपनी ओर से पांच सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन कर बुधवार को साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में जांच शुरू की।
विश्वविद्यालय की टीम कॉलेज कैंपस पहुंची और उप-प्राचार्या डॉ. नयना चटर्जी के साथ एक विस्तृत बैठक की। इस दौरान 25 जून को घटी घटना, उसमें शामिल आरोपितों की भूमिका और कॉलेज प्रशासन द्वारा उठाए गए शैक्षणिक एवं अनुशासनात्मक कदमों पर विस्तार से चर्चा की गई।
टीम ने कॉलेज परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और यह जानने का प्रयास किया कि आरोपित मनोजित मिश्रा, जो पहले ही कॉलेज से पासआउट हो चुका था, किस परिस्थिति में और कैसे संस्थान में बेरोकटोक प्रवेश कर रहा था।
फैक्ट फाइंडिंग कमिटी के एक सदस्य ने मीडिया को बताया कि हम घटना से जुड़े हर पहलू की गंभीरता से जांच कर रहे हैं चाहे वह कॉलेज की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था हो या छात्राओं की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं। रिपोर्ट तैयार कर शीघ्र ही विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी जाएगी।
इस बीच, मामले की जांच कर रही राज्य पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने कोर्ट में जानकारी दी कि मुख्य आरोपित मनोजित मिश्रा और अन्य के खिलाफ पहले से दर्ज संगीन धाराओं में अब और छह धाराएं जोड़ी गई हैं। इनमें शामिल हैं धारा (77) गोपनीय और संदिग्ध गतिविधियां, धारा 118(1) हथियार से हमला, धारा 351(3) धमकी देना, धारा 140(3) अपहरण, धारा 140(4) बंधक बनाकर मारपीट, धारा 142 जबरन घर में बंद करके रखना।
पूर्व में आरोपित पर गैंगरेप (धारा 70(1)), अवैध बंधन (धारा 127(2)), और संविघ्न आपराधिक उद्देश्य (धारा 3(5)) जैसी धाराएं पहले से ही दर्ज थीं। कोर्ट ने आरोपितों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
कॉलेज प्रशासन ने विश्वविद्यालय की टीम को आश्वासन दिया है कि इस घटना को लेकर आंतरिक समीक्षा प्रक्रिया भी शुरू की गई है और भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो, इसके लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय