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--दो साल तक आदेश दबाए रहे बेसिक शिक्षा निदेशक --अपर मुख्य सचिव बेसिक को नहीं भेजा आदेश--कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा से मांगा देरी का स्पष्टीकरण--आदेश का पालन नहीं तो 25 अगस्त को हाजिर हों अपर मुख्य सचिव बेसिक
प्रयागराज, 16 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संत कबीर नगर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कार्यप्रणाली एवं अपर शिक्षा निदेशक बेसिक मृदुल आनंद के खिलाफ नियुक्ति में धांधली के मामले की जांच के संदर्भ में हुए आदेश पर दो साल तक कुछ नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है। बेसिक शिक्षा निदेशक से आदेश का अनुपालन कराने में हुई देरी के स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि अब भी 25 मई 2023 के आदेश का पालन नहीं किया गया तो अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा अगली सुनवाई की तिथि 25 अगस्त को हाजिर हों।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने नंदू प्रसाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। संतकबीर नगर का जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कार्यप्रणाली एवं अपर शिक्षा निदेशक बेसिक मृदुल आनंद के खिलाफ नियुक्ति में धांधली के मामले की जांच के लिए संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि बस्ती मंडल का कोई अधिकारी कमेटी में न रखा जाए। कमेटी जांच रिपोर्ट पेश करे और जरूरी हो तो विजिलेंस जांच कराए। इस आदेश को सरकार को भेजा ही नहीं गया और न कमेटी बनी न ही कार्रवाई की गई।
बेसिक शिक्षा निदेशक पिछले दो साल तक आदेश रखकर चुप बैठे रहे। आदेश की जानकारी सरकार को नहीं दी। दो साल बाद केस की सुनवाई के समय जब कोर्ट ने जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा तो सरकारी वकील ने बताया कि गत 14 जुलाई को अपर मुख्य सचिव बेसिक को 25 मई 2023 के आदेश के साथ पत्र लिखा गया है। आदेश के पालन के लिए एक माह का समय दिया जाए। नंदू प्रसाद व मालती गुप्ता की नियुक्ति को लेकर विवाद उठा। कोर्ट ने रिकॉर्ड मांगा तो पता चला कि मैनेजर रिटर्न में नंदू प्रसाद और अनीस अहमद खान के बीच में बिना क्रमांक के मालती गुप्ता का नाम लिख दिया गया है, जिस पर बीएसए मृदुल आनंद के हस्ताक्षर हैं। कई अनियमितता दिखाई दी, जिससे स्पष्ट लगा कि बीएसए, अपर निदेशक बेसिक शिक्षा व प्रबंध समिति के बीच दुरभिसंधि है और नियुक्ति में घोटाला किया गया है।
इस पर कोर्ट ने 25 मई 2023 को राज्य सरकार को एक कमेटी गठित कर जांच कर जवाबदेही तय करके रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। इस आदेश का पालन नहीं किया गया। सरकारी वकील ने बताया कि निदेशक बेसिक शिक्षा ने कोर्ट के आदेश की अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को जानकारी ही नहीं भेजी, जिस पर कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे