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जयपुर, 16 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एसीबी चौकी, सवाई माधोपुर में तैनात होकर विभिन्न सरकारी अधिकारियों से रिश्वत लेने के मामले में आरोपित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र शर्मा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपित की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि अनुसंधान में सामने आया है कि याचिकाकर्ता आरोपित ने दूसरे लोक सेवकों को ट्रेप करने की धमकी देकर रिश्वत ली है। ऐसे में आरोपित को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर अदालत ने प्रकरण में सवाई माधोपुर के जिला परिवहन अधिकारी रहे पून्याराम मीणा को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
जमानत याचिका में सुरेन्द्र शर्मा की ओर से कहा गया कि उसे बिना किसी आधार के गत 20 मई को गिरफ्तार किया गया था। उसके कब्जे से कोई रिश्वत राशि भी बरामद नहीं हुई है। उसे सह आरोपित के साथ वार्तालाप के आधार पर आरोपी बनाया गया है। वहीं सह आरोपित विवेक सोनी को पूर्व में जमानत दी जा चुकी है। इसके अलावा उसके खिलाफ जांच करने से पूर्व अभियोजन स्वीकृति भी नहीं ली गई है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील जयप्रकाश तिवाडी ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकारी अधिकारियों को मोबाइल रिकॉर्डिंग का भय दिखाकर संगठित गिरोह के माध्यम से मासिक रूप से भारी रिश्वत लेता था। इस संबंध में जून, 2024 को आम जन की ओर से परिवाद दिया गया था। सह आरोपित दलाल रामराज मीणा के मोबाइल से हुई बातचीत के आधार पर याचिकाकर्ता को अपराध में लिप्त पाया गया और उसे अभिरक्षा में लिया गया। ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की जरूरत भी नहीं थी। इसलिए आरोपित की जमानत याचिका को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपित की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। दूसरी ओर पून्याराम की ओर से कहा गया कि एफआईआर में उसका नाम नहीं है और ना ही उसने किसी से रिश्वत मांगी थी। वहीं उससे रिश्वत राशि की बरामदगी भी नहीं हुई है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक