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जयपुर, 16 जुलाई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री और बारां से पूर्व विधायक प्रमोद जैन भाया से जुड़े मामलों की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। वहीं राज्य सरकार से मामले में जवाब मांगते हुए भाया के खिलाफ केसों में चल रही कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट बताने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भाया को कहा कि वे सभी केसों की जांच प्रक्रिया में सहयोग करें और इस दौरान उनके खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रमोद जैन भाया की एसएलपी पर दिए।
एसएलपी में भाया ने राजस्थान हाईकोर्ट के एक मई 2025 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने भाया और उनकी पत्नी सहित अन्य के खिलाफ कई पुलिस थानों में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर उन्हें दस दिन में जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कहा था। भाया की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये सभी एफआईआर राजनीतिक द्वेषता से प्रेरित हैं। एफआईआर 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव के बाद दर्ज हुई हैं और एक-दूसरे से मिलती हुई व अस्पष्ट हैं। सभी एफआईआर को एक साथ कर इनकी जांच बारां के बाहर किसी आईपीएस अफसर से कराई जाए। जवाब में राज्य के एएजी शिवमंगल शर्मा ने कहा कि हर एफआईआर एक अलग घटना, तथ्य, शिकायतकर्ता और अपराध से जुड़ी है। इनमें अवैध खनन, फर्जी पट्टे जारी होना, वित्तीय गड़बड़ी और शासकीय दस्तावेजों की हेराफेरी जैसी गंभीर आर्थिक अपराध शामिल हैं। इन एफआईआर को एक साथ करना कानूनी व व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। एफआईआर अलग-अलग थानों में दर्ज हैं और जांच आगे बढ़ चुकी है और राज्य सरकार स्वतंत्र व निष्पक्ष तौर पर जांच कर रही है। इसलिए एसएलपी को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जांच पर रोक लगाने से इनकार करते हुए राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक