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कोटा, 11 जुलाई (हि.स.)। चम्बल नदी पर 1960 में निर्मित चौथा बांध कोटा बैराज अवधि पार हो जाने से जर्जर हो चुका है। 65 साल पुराने इस बांध से राजस्थान व मध्यप्रदेश की 6.5 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जा रही है। इस बांध पर 19 रेडियल गेट और दो स्लूज गेट हैं। जिनकी दो वर्षों से मरम्मत का काम नहीं हो रहा है। इसके गेटों पर लोेहे के मोटे तारों पर पर जंग लग चुका है, जिससे बरसात के मौसम में पानी की आवक ज्यादा होने पर इसके संचालन में भारी जोखिम बनी रहती है। इसकी भराव क्षमता 654 फीट है।
शुक्रवार को पुराने कोटा बैराज की पूरी गुणवत्तापूर्ण मरम्मत करवाने की मांग को लेकर स्थायी लोक अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई। इस पर लोक अदालत ने जिला कलेक्टर एवं कोटा बैराज अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर उनसे जवाब-तलब किया है। याचिका पर सुनवाई 1 अगस्त को होगी।
याचिकाकर्ता एडवोंकेट लोकेश कुमार सैनी, पत्रकार धर्मबन्धु आर्य, जगदीश अरविंद एवं जगदीश प्रसाद सैनी ने याचिका में बताया कि 1960 में बना चम्बल नदी का यह प्रमुख बांध कोटा की लाईफ लाईन माना जाता है। इससे कोटा सुपर थर्मल एवं सम्पूर्ण कोटा शहर को पेयजल आपूर्ति करने वाले दो फिल्टर प्लांटों को वर्षपर्यंत पानी मिलता है। लेकिन सिंचाई विभाग की लापरवाही व अनदेखी के कारण कोटा बैराज से जुडा पत्थर व मिट्टी वाला क्षेत्र चूहों के कारण खोखला हो चुका है। गेेटों पर जंग के कारण छिद्र हो जाने सेे पानी निकलता रहता है। बैराज की सेफ्टी दीवार, की रैलिंग भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
कोटा बैराज, जवाहर सागर बांध व राणा प्रताप सागर बांध के रिनोवेशन के लिए राज्य सरकार द्वारा 236 करोड रूपये का बजट दिया जा चुका है। लेकिन दो वर्ष से मरम्मत का कोई बड़ा कार्य नहीं किया गया है। कोटा बैराज पुराना व जर्जर हो जाने से नदी पार क्षेत्र की आवासीय कॉलोनियों के लिये यातायात दबाव कम करने के लिये 1200 मीटर लम्बे समानांतर पुल से आवागमन हो रहा है।
दो स्लूज गेट 1980 से बंद हैं-
याचिका में बताया कि कोटा बैराज के दोनों स्लूज गेट 1980 से बन्द पडे़ है। स्लूज गेट का मुख्य कार्य बांध के पेडे में जमा होने वाली मिट्टी को बाहर निकलना है। कोटा बैराज पर लगी लोहे की सेफ्टी वॉल पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। पुल की जालियां भी जर्जर है। जो हादसे का कारण बनेगी। यहां कबूतरों को दाना डालने से चूहे हो रहे हैं। असामाजिक तत्वों का जमावडा रहता है। बांध अब जर्जर अवस्था में है। चम्बल रिवर फ्रंट से जुडा होने के कारण कोटा बैराज पर्यटकों के लिये सबसेे बडा आकर्षण है।
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द