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नाहन, 10 जुलाई (हि.स.)। उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार श्री रेणुकाजी में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरु-शिष्य परंपरा का भव्य निर्वहन हुआ। गुरुवार को तीर्थ स्थल के सभी आश्रमों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर गुरु चरणों में अपनी श्रद्धा और आस्था अर्पित की। इस अवसर पर कई अनुयायी हिमाचल ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से भी श्री रेणुकाजी पहुंचे। श्रद्धालुओं ने पावन रेणुका झील में आस्था की डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना की।
आदि उदासीन बड़ा अखाड़ा निर्वाण आश्रम में महंत रेनेन्द्र मुनि महाराज के सानिध्य में बड़ी संख्या में अनुयायियों ने गुरु वंदना की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान गुरु भक्ति का महत्व और जीवन में गुरु की भूमिका पर भी विशेष ज्ञानवर्धक विचार साझा किए गए।
सन्यास आश्रम में भी श्रद्धालु उमड़े और स्वामी भीमानंद पूरी से गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, महमण्डलेश्वर दयानंद भारती की उपस्थिति में भी शिष्यों ने परंपरा का निर्वहन किया।
निर्वाण आश्रम के प्रवक्ता मोहन चंद्र त्रिपाठी और जगदीश चंद्र त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मोत्सव से जुड़ा है, जिन्होंने चारों वेदों का वर्गीकरण कर शास्त्रों और अध्यात्म का ज्ञान मानवता को दिया।
इस शुभ अवसर पर महंत रेनेन्द्र मुनि महाराज ने सेवा भाव से जुड़े सभी श्रद्धालुओं और अनुयायियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए उनके जीवन में ज्ञान, भक्ति और शांति की कामना की।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर