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हाई कोर्ट ने महेंद्रगढ़ की आईटीआई की याचिका को किया खारिज
चंडीगढ़, 1 जुलाई (हि.स.)। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) को नए छात्रों का दाखिला तभी करने की अनुमति मिल सकती है जब उसके पास उस भवन और परिसर पर वैध स्वामित्व अधिकार या विधिवत पंजीकृत लीज डीड हो। यह शर्त राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) के नियमानुसार अनिवार्य है।
यह फैसला चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने मंगलवार को महेंद्रगढ़ स्थित एक आईटीआई की याचिका पर सुनाया, जिसमें संस्थान को नए प्रशिक्षुओं के दाखिले से रोके जाने और डी-एफिलिएशन की कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिका को खरिज कर दिया है।
खंडपीठ ने कहा कि आईटीआई को मान्यता प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि वह जिस परिसर में कार्यरत हैं, उस पर या तो स्वामित्व हो या फिर वैध रूप से रजिस्टर्ड लीज डीड हो। याचिकाकर्ता संस्था के पास अगस्त 2019 तक वैध लीज डीड थी, लेकिन उसे नवीनीकरण नहीं कराया गया। संस्था का दावा था कि वह कानूनी किरायेदार बन चुकी है और उसे संबंधित किराया कानूनों के अंतर्गत ही हटाया जा सकता है। कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जहां कोई विशेष नियामक संस्था (जैसे एनसीवीटी) नियमों को बाध्यकारी रूप में लागू करती है।
खंडपीठ ने कहा कि वैध पट्टे के बिना छात्रों का दाखिला करने दिया गया, तो इसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति छात्रों को शिक्षा और करियर की दृष्टि से गहरे संकट में डाल सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता संस्था वैध लीज नहीं ले पाती तो सजा छात्रों को भुगतनी पड़ेगी, जो पूरी तरह निर्दोष हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा