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- सरकार के खजाने पर हर साल पड़ेगा 600 करोड़ रुपये का बोझ
- 10 साल बाद सेवानिवृत्त होने पर मिलेगी 10 हजार मासिक पेंशन
चंडीगढ़, 26 जून (हि.स.)। हरियाणा सरकार द्वारा लागू की गई नई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) राज्य सरकार के कर्मचारी को सेवानिवृत्ति से पहले 12 महीनों के दौरान प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत प्रदान करेगी, बशर्ते कर्मचारी 25 साल की सेवा पूरी कर ले। यदि कर्मचारी 10 या उससे अधिक वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होता है, तो उसे प्रति माह 10,000 रुपये का न्यूनतम गारंटीकृत भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। पेंशनभोगी की मृत्यु की स्थिति में, परिवार को अंतिम आहरित पेंशन राशि का 60 प्रतिशत प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बताया कि यह महंगाई राहत सुनिश्चित पेंशन भुगतान और पारिवारिक पेंशन दोनों पर लागू होगी, जिसकी गणना सेवारत कर्मचारियों पर लागू महंगाई भत्ते के समान ही की जाएगी। सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान की भी अनुमति दी जाएगी।
वर्तमान नई पेंशन योजना के तहत, कर्मचारी 10 प्रतिशत अंशदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है। यूपीएस के कार्यान्वयन के साथ, सरकार का योगदान बढक़र 18.5 प्रतिशत हो जाएगा, इससे सरकार के खजाने पर लगभग 50 करोड़ रुपये मासिक और 600 करोड़ रुपये का वार्षिक वित्तीय भार पड़ेगा।
एकीकृत पेंशन योजना के तहत कोष में दो निधियां शामिल होंगी। एक व्यक्तिगत कोष जिसमें कर्मचारी अंशदान और हरियाणा सरकार से प्राप्त योगदान शामिल होगा जो हरियाणा सरकार से अतिरिक्त योगदान द्वारा वित्त पोषित एक पूल कार्पस फंड के रूप में संचालित होगा।
योजना के तहत कर्मचारी अपने (मूल वेतन+महंगाई भत्ते) का 10 प्रतिशत योगदान देंगे, जिसमें हरियाणा सरकार से मिला बराबर योगदान होगा। दोनों राशियाँ प्रत्येक कर्मचारी के व्यक्तिगत कोष में जमा की जाएंगी।
इसके अलावा, हरियाणा सरकार यूपीएस का विकल्प चुनने वाले सभी कर्मचारियों के (मूल वेतन+महंगाई भत्ते) का अनुमानित 8.5 प्रतिशत औसत आधार पर पूल कार्पस में योगदान करेगी। इस अतिरिक्त योगदान का उद्देश्य योजना के तहत सुनिश्चित भुगतान करना है। कर्मचारी अपने व्यक्तिगत कोष के लिए निवेश विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं, जिसे पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा विनियमित किया जाएगा। यदि कोई कर्मचारी निवेश वरीयता निर्दिष्ट नहीं करता है, तो पीएफआरडीए द्वारा परिभाषित निवेश का डिफ़ॉल्ट पैटर्न लागू होगा। अतिरिक्त सरकारी अंशदान द्वारा वित्तपोषित पूल कॉर्पस के लिए निवेश निर्णय पूरी तरह से हरियाणा सरकार द्वारा प्रबंधित किए जाएंगे। बोर्ड/निगमों/सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो तथा राज्य के विश्वविद्यालयों आदि में यूपीएस के कार्यान्वयन के बारे में निर्णय बाद में अलग से लिया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा