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नैनीताल, 25 जून (हि.स.)। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा और अकाउंटेंट बसंत जोशी को रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के मामले में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फिलहाल राहत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई सात जुलाई को तय की है।
दिनेश राणा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर कर आराेप लगाया था कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है। याचिका के माध्यम से कहा कि उन्होंने शिकायतकर्ता की एसीपी क्लेम की फाइल पहले ही लौटा दी थी। इससे नाराज होकर उनकी ओर से यह षड्यंत्र रचा गया। जो पैसों की रिकवरी हुई, वह अकाउंटेंट के दराज से हुई। वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि जब मामले की जांच हुई तो पाए गए नोटों पर अकाउंटेंट और मुख्य कोषाधिकारी के उंगलियों के निशान पाए गए जिसकी पुष्टि भी हुई है।
बता दें कि विजिलेंस हल्द्वानी से शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि वह हल्द्वानी कोर्ट में कार्यरत है। उसके और उसके पांच अन्य साथियों की एसीपी लगनी थी। इसके लिए नियमानुसार तीन सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी के दोनों सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर कर दिए, एक सदस्य मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा हैं, जिनके हस्ताक्षर होने थे। लेकिन वे हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे। कोषाधिकारी के कार्यालय में नियुक्त अकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी ने फोन कर उन्हें कार्यालय बुलाया और बताया कि मुख्य कोषाधिकारी हस्ताक्षर के ऐवज में छह लोगों से 50-50 हजार रुपये देने को कह रहे हैं। शिकायतकर्ता से 1.20 लाख रुपये लेकर हस्ताक्षर करने की बात तय हो गई। विजिलेंस की ट्रैप टीम ने नौ मई 2025 को अभियुक्त दिनेश कुमार राणा और बसंत कुमार जोशी को शिकायतकर्ता से 1,20,000 रुपये रिश्वत लेते हुए मुख्य कोषाधिकारी कार्यालय नैनीताल से रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता