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नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर ने किया ऐलान
चंडीगढ़, 24 जून (हि.स.)। बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं की सर्वोच्च बॉडी नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के बैनर तले मंगलवार को चंडीगढ़ में उत्तरी जोन के राज्यों के बिजली कर्मचारियों की कन्वेंशन का आयोजन किया गया। इस कन्वेंशन में बिजली निजीकरण के विराेध में सभी संगठनाें ने 9 जुलाई को बिजली कर्मचारियाें ने राष्ट्र व्यापी हड़ताल पर रहने का ऐलान किया।
इस कन्वेंशन में एनसीसीओईईई के संयोजक एवं ईईएफआई के जनरल सेकेट्री सुदीप दत्ता, इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लाम्बा, एचपीएसईबी (हिमाचल) के प्रधान कामेश्वर शर्मा व राज्य प्रधान सुरेश राठी ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर कहा कि 9 जुलाई को हरियाणा में सभी संगठन एकजुटता के साथ बिजली कर्मचारी सफल हड़ताल करेंगे, जिसकी तैयारियां चल रही है।
कन्वेंशन में सर्वसम्मत से बिजली निजीकरण और बिजली कर्मचारियों की मांगों के समर्थन में 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल करने का ऐलान किया गया। हड़ताल की सफलता के लिए देशभर में कंज्यूमर व कर्मचारियों की संयुक्त सभाएं करने का ऐलान किया गया। कन्वेंशन में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, चंडीगढ़, राजस्थान से बड़ी संख्या में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और कमेटी के संयोजक सुदीप दत्ता के हड़ताल के पेश किए प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। कन्वेंशन में उप्र सरकार के पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के फैसले की घोर निंदा की गई और उप्र बिजली कर्मचारियों के चल रहे आंदोलन के समर्थन में 9 जुलाई को देशभर में एकजुटता प्रदर्शन करने का फैसला किया।
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के संयोजक एवं ईईएफआई के जनरल सेक्रेटरी ने कहा कि केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने की जल्दबाजी में है। इसलिए मंत्रियों का समूह बनाया गया है। मानसून सत्र में संसद में बिल पेश करने की तैयारी है। जिसके खिलाफ 27 लाख बिजली कर्मी और अभियंता 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल करेंगे। ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि बिजली सरकार के लिए सेवा है और निजी कंपनी के लिए व्यापार है। उन्होंने कहा कि निजीकरण के बाद बिजली गरीब व किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि 29 श्रम कानूनों को खत्म कर बनाए गए 4 लेबर कोड्स मजदूरों की गुलामी का दस्तावेज है,जिसका डटकर विरोध किया जाएगा। ईईएफआई के उपाध्यक्ष सुरेश राठी ने कहा कि निजीकरण के बाद चंडीगढ़ की बिजली आपूर्ति को सुचारू रूप से चलाने में पूरी तरह विफल रही है। इसलिए प्रशासन को फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा