रामबाबू नहीं, अब सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं श्यामबाबू
अन्त्योदय संबल पखवाड़े में नाम सुधार कर 48 साल पुरानी गलती का हुआ समाधान धौलपुर, 24 जून (हि.स.)। चेहरा अनुभवों से भरा, आंखों में थका हुआ आत्मविश्वास। श्यामबाबू वर्षों से एक अदृश्य लड़ाई लड़ रहे थे अपने ही नाम की। साल 1977 में उनके पिता के देहांत के बा
रामबाबू नहीं, अब सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं श्यामबाबू


अन्त्योदय संबल पखवाड़े में नाम सुधार कर 48 साल पुरानी गलती का हुआ समाधान

धौलपुर, 24 जून (हि.स.)। चेहरा अनुभवों से भरा, आंखों में थका हुआ आत्मविश्वास। श्यामबाबू वर्षों से एक अदृश्य लड़ाई लड़ रहे थे अपने ही नाम की। साल 1977 में उनके पिता के देहांत के बाद जब जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया हुई, तो एक मानवीय गलती ने उनकी पहचान श्यामबाबू की जगह सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो गई रामबाबू। इस मामूली लगने वाली गलती ने श्यामबाबू की जिंदगी में वर्षों की दौड़-धूप और मानसिक तनाव जोड़ दिया। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भी समस्या आती थी, साथ ही जमीन से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी। उन्होंने इस भूल सुधार के लिए पूर्व में कई प्रयास किए। फॉर्म भरे, आवेदन दिए, लेकिन हर बार मामला वहीं का वहीं रह गया। लेकिन बदलाव की सुबह अंत्योदय पखवाड़े में मंगलवार को आई।

राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़ा के अंतर्गत उपखंड बाड़ी में लगे ग्राम पंचायत चिलाचौंद के शिविर में श्यामबाबू ने एक बार फिर अपनी गुहार लगाई। इस बार सिर्फ उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई बल्कि उसका समाधान भी उसी शिविर में हुआ। शिकायत सुनते ही उपखंड अधिकारी बाड़ी भगवत शरण त्यागी ने पटवारी और तहसीलदार को निर्देश दिए। रिकॉर्ड खंगाले गए, ग्रामीणों से पुष्टि करवाई गई, दस्तावेज़ की जांच की गई और तत्क्षण प्रक्रिया पूरी कर ‘रामबाबू’ को सही कर ‘श्याम बाबू’ दर्ज कर दिया गया। शिविर स्थल पर ही उन्हें नया रिकॉर्ड का दस्तावेज सौंपा गया। इस माैके पर तहसीलदार उत्तम चंद बंसल सिहत अन्य माैजूद रहे। वर्षों पुरानी गलती को सही होते देख श्यामबाबू के चेहरे पर संतोष और खुशी के भाव थे। “पहली बार लगा कि सरकार वाकई हम जैसे लोगों तक पहुंची है। आज मेरा नाम ही नहीं, मेरी पहचान भी लौट आई है, ”श्याम बाबू, लाभार्थी। जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे पखवाड़े के दौरान इस प्रकार की समस्याओं के त्वरित समाधान से आमजन में विश्वास बढ़ा है। शिविरों के माध्यम से जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी रूप से ज़मीनी स्तर तक पहुँचाया जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रदीप