हिसार : सरकारी आयोजनों में रोडवेज बसों को ले जाना गलत, जनता हो रही परेशान : यूनियन
रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने जताया सरकार के फैसले पर रोष, अन्य वाहन भिजवाएं जाएचालकों-परिचालकों के रूकने व खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं होतीहिसार, 22 जून (हि.स.)। हरियाणा कर्मचारी महासंघ से संबंधित रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने विभिन्न कार्यक्रमों के बहाने
रोडवेज डिपो प्रधान राजबीर दुहन।


रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने जताया सरकार के फैसले पर रोष, अन्य वाहन भिजवाएं जाएचालकों-परिचालकों के रूकने व खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं होतीहिसार, 22 जून (हि.स.)। हरियाणा कर्मचारी महासंघ से संबंधित रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने विभिन्न कार्यक्रमों के बहाने रोडवेज बसों को ले जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। यूनियन का कहना है कि रोडवेज बसों को किसी आयोजन में ले जाने से यात्रियों को परेशानी होती है और बसों की कमी से परेशान यात्री रोडवेज के चालकों व परिचालकों से झगड़ा करते हैं, जो उचित नहीं है।रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह, महासचिव जयबीर घणघस, कार्यकारी प्रदेश प्रधान अनूप लाठर, हिसार डिपो प्रधान राजबीर दूहन व सचिव संदीप गोयत ने रविवार काे यहां कहा कि पिछले लगभग दो वर्षों से हरियाणा सरकार द्वारा अलग अलग तरह के कार्यक्रमों, सम्मेलनों और जयंती समारोह में भाग लेने वाले लोगों को लाने व ले जाने के लिए हरियाणा रोडवेज की बसों का प्रयोग किया जा रहा है। इस कारण प्रदेश की जनता को बस सुविधा से वंचित होना पड़ता है और उनको अपने गंतव्य तक पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हरियाणा रोडवेज की बसों को गरीब का रथ कहा जाता है और इस तरह के कार्यक्रमों में उसी गरीब जनता को परिवहन सुविधा से वंचित होना पड़ता है। राज्य परिवहन की बसों में आमजन, छात्र, छात्राएं, महिलाएं और वृद्धजनों को सफर करना होता है और जब उनको बस स्टेंड पर आकर पता चलता है कि उनकी मार्गों की बसें नहीं जाएंगी तो उनको अपना सफर करने के लिए निजी साधनों का सहारा लेना पड़ता है जो कभी बीच रास्ते में उतार देते हैं तो कभी उनसे मनमाना किराया वसूल किया जाता है।

रोडवेज नेताओं ने कहा कि इसके अतिरिक्त हरियाणा रोडवेज की जो बसें इन कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए कार्यक्रम से पूर्व की संध्या को ही उनके निर्धारित स्थान पर भेजी जाती हैं वहां पर बसों पर कार्यरत चालक और परिचालकों के ठहरने और खाने पीने की कोई भी व्यवस्था नहीं होती। इस कारण कर्मचारियों को बसों की छतों पर खुले में मच्छरों के बीच रात गुजारनी पड़ती है और फिर अगले दिन बस का संचालन करना होता है तो नींद ना पूरी होने के कारण दुर्घटनाओं का भी अंदेशा बना रहता है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर