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शिमला, 02 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मानसून से पहले आपातकालीन संचार व्यवस्थाओं की तैयारी की समीक्षा के उद्देश्य से सोमवार को 9वीं राज्य स्तरीय मेगा मॉक ड्रिल और संचार मॉक अभ्यास का सफल आयोजन किया। इस अभ्यास की अध्यक्षता निदेशक एवं विशेष सचिव (राजस्व एवं आपदा प्रबंधन) डी.सी. राणा ने की।
इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य राज्य में किसी भी आपदा की स्थिति में संचार नेटवर्क की प्रभावशीलता, स्थिरता और तैयारियों की वास्तविक समय में जांच करना था, ताकि किसी भी संभावित खामी की पहले से पहचान कर उसे दुरुस्त किया जा सके। अभ्यास के दौरान राज्य के दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों जैसे चंबा जिले का तिस्सा और कुगती, शिमला का डोडरा-क्वार, लाहौल-स्पीति का केलांग, किन्नौर का रिकांगपिओ और कांगड़ा का बड़ा भंगाल जैसे इलाकों में वॉयस कॉल के माध्यम से संचार की स्थिति का परीक्षण किया गया।
इसके साथ ही, वी-सैट टर्मिनलों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर, दिल्ली हब, रिकांगपिओ (किन्नौर) और बंगलुरु (कर्नाटक) स्थित नियंत्रण कक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई। इस कवायद के माध्यम से आपदा की स्थिति में संभावित संचार परिदृश्यों का यथार्थ अनुकरण किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी आपात स्थिति में राज्य के दूरदराज़ क्षेत्रों से भी सुरक्षित व सुचारू संवाद बनाए रखा जा सके।
मॉक अभ्यास के दौरान उपग्रह संचार उपकरणों की तकनीकी जांच भी की गई। इस दौरान कुल 227 आई-सैट फोन का परीक्षण किया गया, जिनमें हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं जिला स्तर पर तैनात 114 सेट, पुलिस की संचार एवं तकनीकी शाखा के 34 सेट, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के 9, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के 14, विभिन्न बांध प्राधिकरणों के 45, जीआरईएफ की दीपक परियोजना के 8, आईटीबीपी के 2 और सेना का एक सेट शामिल था।
इसके अतिरिक्त कुल 144 वी-सैट फोन का भी परीक्षण किया गया। इसमें संचार और तकनीकी सेवाएं शाखा के 141 सेट और फ्लाई-वे वी-सैट सिस्टम के 3 उपकरण शामिल थे। ये सभी उपकरण राज्य में किसी भी आपदा या संचार विफलता की स्थिति में वैकल्पिक संचार साधन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डी.सी. राणा ने इस अभ्यास की सफलता पर संतोष जताते हुए कहा कि यह मॉक ड्रिल राज्य की आपदा प्रबंधन क्षमता को और मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार का लक्ष्य हर परिस्थिति में सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में जन-धन की सुरक्षा के लिए त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा