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सीकर, 19 जून (हि.स.)। सीकर में गुरुवार को 'संभाग' और नीमकाथाना 'जिला' बहाली की मांग को लेकर आहूत बंद ने पूरे जिले की रफ्तार थाम दी। बंद का व्यापक असर शहर से लेकर कस्बों तक देखा गया। प्रमुख बाजार पूरी तरह से बंद रहे, सड़कें वीरान रहीं और आमजन में बंद को लेकर खासा समर्थन नजर आया। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने जिलेभर में भारी पुलिस बल की तैनाती की।
सुबह से ही बंद का असर पूरे सीकर शहर में साफ नजर आया। दुकानें बंद रहीं, छोटे-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर ताले लटके रहे। बंद के दौरान व्यापारिक, राजनीतिक, सामाजिक और छात्र संगठनों के प्रतिनिधि सड़क पर उतरे और नारेबाजी करते हुए रैलियां निकालीं। इस दौरान कुछ दुकानों को स्वेच्छा से बंद करवाया गया। कई कोचिंग संस्थानों और निजी प्रतिष्ठानों को भी बंद करवा दिया गया। सीकर बंद को 36 से अधिक संगठनों का समर्थन मिला, जिनमें जिला कांग्रेस कमेटी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आरएलपी, एनएसयूआई, एसएफआई, व्यापार संघ, किसान संगठन, शिक्षक संघ, महिला समिति, मजदूर यूनियन सहित कई प्रमुख संगठन शामिल हैं। लक्ष्मणगढ़ कस्बे को दोपहर 12 बजे तक पूर्ण रूप से बंद रखने का निर्णय किया गया।
सीकर बार एसोसिएशन के नेतृत्व में जिला कलेक्ट्रेट के सामने चल रहे धरना आंदोलन को गुरुवार को 100 दिन पूरे हो गए। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा सीकर को संभाग और नीमकाथाना को जिला घोषित किया गया था, जिसे वर्तमान भजनलाल सरकार ने एक्सपर्ट्स की राय के आधार पर रद्द कर दिया। इस निर्णय के विरोध में बार एसोसिएशन सहित विभिन्न संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती रही। सिग्मा बाइक टीम, कोबरा स्क्वाड, मोबाइल यूनिट, थाना अधिकारी सहित अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। जिला कलेक्ट्रेट और प्रदर्शन स्थलों पर भी अतिरिक्त सुरक्षाबल नजर आया।
हालांकि बंद के दौरान आमजन को कोई विशेष परेशानी न हो, इसके लिए आवश्यक सेवाओं जैसे मेडिकल स्टोर, अस्पताल, डेयरी, खाद बीज केंद्र और पेट्रोल पंप खुले रखे गए। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि इन सेवाओं को बंद से अलग रखा गया है। सीकर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भागीरथमल जाखड़ ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री समेत तमाम जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन भेजे हैं लेकिन अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। अगर हमारी मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो हम उग्र आंदोलन की ओर बढ़ेंगे और पूरे जिले के आमजन को साथ लेकर सरकार को झुकाने का काम करेंगे। सीकर बंद के व्यापक समर्थन और सफल आयोजन के बाद अब यह मुद्दा राजनीतिक रंग लेने लगा है। विभिन्न दलों के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। माना जा रहा है कि यदि सरकार जल्द कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लेती है तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित