चेतना के दो रूप हैं कैलाश और केदार
कैलाशी पीयूष शर्मा हर साल जून का महीना उत्तराखंड त्रासदी के जख्म हरे कर जाता है। 16 जून 2013-यह एक ऐसा कालखंड है, जिसे स्मरण करते ही हिमालय की शांत घाटियां सिसकियां भरती प्रतीत होती हैं और पवित्र नदियां अपने प्रवाह में एक गहरी वेदना लेकर बहती हैं। उ

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