आसान नहीं ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल को उड़ाना
फोर्डो परमाणु स्थल के चारों तरफ सुरक्षा के लिए मिसाइलें तैनात की गई हैं।


मुकुंद

इजराइल कई दिनों से ईरान को सामरिक चोट दे रहा है। ऐसी चोट जो ईरान को न रोने दे रही न हंसने दे रही। पिछले छह दिन से दोनों देश एक-दूसरे के आसमान से धरती पर कहर बरपा रहे हैं। इजराइल इस दौरान ईरान के कई प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों और शीर्ष सैन्य कमांडरों को ढेर कर चुका है। अमेरिका उस पर लगातार बिना शर्त समझौता करने का दबाव बना रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। वह समझौते को बेकरार हैं। यह बेकरारी इससे समझी जा सकती है कि वह कनाडा में चल रहे जी-7 शिखर सम्मेलन को छोड़कर स्वदेश लौट आए और सीधे सिचुएशन रूम में अपने सैन्य रणनीतिकारों से विचार-विमर्श करने में जुट गए। माना जा रहा है कि इस दौरान ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल पर इजराइल के हमले की योजना को लेकर भी चर्चा हुई। यह ईरान का सबसे महत्वपूर्ण परमाणु सुविधा केंद्र हैं।

ईरान इसे लेकर बेहद संजीदा है। इसे उसने अभेद्य दुर्ग में तबदील कर रखा है। ईरान ने फोर्डो को कोम शहर के पास पहाड़ के नीचे विकसित किया है। फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र चट्टानों और मिट्टी के नीचे लगभग 80 मीटर (260 फीट) की गहराई पर है। इसे हवाई हमलों और सैन्य आक्रमण से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसको ईरान का माउंट डूम भी कहा जाता है। कहा तो यहां तक जाता है कि इसकी रक्षा के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली का बंदोबस्त है।

फोर्डो में काम 2009 में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने एक मिसाइल बेस के रूप में शुरू किया था। बाद में इसे यूरेनियम संवर्धन के लिए भूमिगत सुविधा में बदल दिया गया। इसे अमेरिकी और इजराइल शुरू से परमाणु हथियारों के उत्पादन के लिए एक संभावित खतरे के रूप में देख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों और विशेषज्ञों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय ईरानी परमाणु सुविधा रही है। ईरान का एक और भूमिगत परमाणु संवर्धन स्थल नातांज है। इजराइल हमले के पहले दिन ही इसे निशाना बना चुका है। यह दोनों मध्य ईरान में तेहरान के दक्षिण में हैं।

माना जाता है कि फोर्डो को हवाई हमलों का सामना करने के लिए बनाया गया है। 2015 के परमाणु समझौते के तहत, इसे बिना संवर्धन के एक अनुसंधान सुविधा के रूप में इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन 2019 के बाद ईरान ने यहां संवर्धन फिर से शुरू कर दिया। समूची दुनिया इसी बात को लेकर चिंतित है। हालांकि फोर्डो को कई लिहाज से अभेद्य माना जा रहा है, मगर कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास ईरान के इस फोर्डो को नष्ट करने की क्षमता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि ईरान के आसमान पर अब हमारा पूरा नियंत्रण है। इजरायली सेना अमेरिका से खरीदे गए विमानों और हथियार प्रणालियों से लैस है। व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से छनकर आई खबरों में दावा किया जा रहा है कि ट्रंप फोर्डो में इजराइल के संभावित हमले में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं। उनके सबसे करीबी सलाहकार भी सहमत हैं कि अब फोर्डो को उड़ाने का समय आ गया है। ट्रंप ने तो यहां तक कहा कि उन्हें पता है कि ईरान का सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई कहां छुपा है। हम फिलहाल उसे मारना नहीं चाहते। हालांकि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के नेता को निशाना बनाने की संभावना से इनकार नहीं किया है।

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का बयान भी काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ईरानी परमाणु सुविधा केंद्र को समाप्त करने के लिए आगे की कार्रवाई करने का निर्णय ले सकते हैं। यह उनका अधिकार है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि ईरान के खिलाफ अब तक के पिछले हमलों का इतिहास बताता है कि उनके नतीजे अप्रत्याशित होते हैं। कोई 15 साल पहले सेंट्रीफ्यूज पर इजराइल के एक साइबर हमले ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को केवल एक या दो साल के लिए ही धीमा किया था। इसके बाद ईरान परमाणु संवर्धन में वापस लौटा, तो वह पहले से कहीं अधिक ताकतवर हो गया था। जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासनकाल से पिछले दो दशकों में इजराइल और अमेरिका ने नातांज परमाणु संवर्धन केंद्र में हजारों सेंट्रीफ्यूज को निशाना बनाने के कई प्रयास किए हैं।

इजराइल सेंट्रीफ्यूज के लिए जरूरी पुर्जे बनाने वाले कारखानों को नष्ट कर चुका है। वह परमाणु हथियार कार्यक्रम में शामिल उसके प्रमुख वैज्ञानिकों को भी ठिकाने लगाता रहा है। हकीकत यह है कि इजराइल और अमेरिका के हर हमले के बाद ईरान का परमाणु हथियार कार्यक्रम और मजबूत हुआ है। मगर 2015 में हस्ताक्षरित समझौते के तहत ईरान को अपने 97 फीसद परमाणु ईंधन को छोड़ने और नातांज में संवर्धन को धीमा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। साल 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समझौते को आपदा बताते हुए पीछे हट गए। इसके तुरंत बाद ईरान ने परमाणु कार्यक्रम में तेजी के साथ काम करना शुरू कर दिया।

इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू तो यहां तक दावा करते हैं कि ईरान के पास अब भी नौ परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त ईंधन है। सवाल यह भी है ईरान ने फोर्डो परमाणु सुविधा स्थल के लिए कोम शहर को ही क्यों चुना? माना जा रहा है कि ईरानी शासक कोम को सबसे पवित्र शहर मानते हैं। यह देश का सातवा सबसे बड़ा महानगर है। कोम तेहरान के दक्षिण में 140 किलोमीटर (87 मील) दूर और को नदी के तट पर स्थित है। कोम को शिया इस्लाम में पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह इमाम अली इब्न मूसा रिदा (फारसी में इमाम रजा 789-816) की बहन फातिमा बिन्त मूसा की दरगाह का स्थल है यकीन मानिए कि इजराइल और अमेरिका के संयुक्त हमले में यदि फोर्डो को उड़ा दिया जाता है तो इस पवित्र शहर की आत्मा इसके लिए अपने शासकों को जरूर कोसेगी। वह कहेगी फातिमा बिन्त मूसा को चैन से सोने भी नहीं दिया।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद