हाई कोर्ट में दाखिल हुआ नया मामला : कॉलेजों के पोर्टल पर अब भी ओबीसी-ए और ओबीसी-बी वर्ग क्यों
कोलकाता, 19 जून (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। कॉलेजों के ऑनलाइन प्रवेश पोर्टल पर अब भी ओबीसी-ए और ओबीसी-बी वर्गों का अलग-अलग उल्लेख होने को लेकर गुरूवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में
दाखिले के लिए ऑनलाइन पोर्टल


कोलकाता, 19 जून (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। कॉलेजों के ऑनलाइन प्रवेश पोर्टल पर अब भी ओबीसी-ए और ओबीसी-बी वर्गों का अलग-अलग उल्लेख होने को लेकर गुरूवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में अदालत की अवमानना का मामला दाखिल किया गया है।

मामलाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बिक्रम बनर्जी ने न्यायालय को बताया कि पहले दिए गए निर्देश के बावजूद कॉलेज प्रवेश पोर्टलों पर ओबीसी-ए और ओबीसी-बी वर्गों को अलग-अलग दिखाया जा रहा है। उनका कहना है कि यह अदालत की अवमानना है और इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस विषय पर उन्होंने न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने उन्हें मामला दायर करने की अनुमति दी।

इस नए अवमानना मामले में राज्य के मुख्य सचिव और उच्च शिक्षा विभाग को भी पक्षकार बनाया गया है। मामले की जल्द सुनवाई की संभावना है। उल्लेखनीय है कि अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित राज्य सरकार की नई अधिसूचना पर पहले ही न्यायालय द्वारा रोक लगाई जा चुकी है, जो आगामी 31 जुलाई तक लागू रहेगी।

मामलाकर्ता पक्ष का तर्क है कि अदालत के निर्देश के बाद ओबीसी-ए और ओबीसी-बी नामक किसी भी सूची की कोई वैधता नहीं है। वर्ष 2010 से पहले जिन 66 समुदायों को ओबीसी के रूप में मान्यता दी गई थी, केवल वही सूची वैध मानी जाएगी। इनमें 54 गैर-मुस्लिम और 12 मुस्लिम समुदाय शामिल हैं। वर्ष 2010 के बाद जिन समुदायों को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, वे अब मान्य नहीं होंगे। इसलिए, कॉलेज में प्रवेश या नौकरी में नियुक्ति के समय केवल 2010 से पहले के प्रमाणपत्र ही वैध माने जाएंगे।

मंगलवार की पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने न्यायालय को बताया था कि इस मुकदमे के चलते कई कार्यों में बाधा आ रही है। इससे एक दिन पहले सोमवार को न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की पीठ के समक्ष राज्य सरकार ने कहा था कि ओबीसी संबंधी मुकदमे के कारण कॉलेजों में दाखिले से लेकर नियुक्ति प्रक्रियाओं तक सभी कुछ प्रभावित हो रहा है। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया था कि ऐसा नहीं होना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर