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कोलकाता, 19 जून (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में कृषि आधारित स्टार्टअप्स को मजबूती देने की दिशा में एक नई पहल के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(भाकृअनुप)-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में एक वर्चुअल जागरूकता बूटकैंप का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना -कृषि और संबद्ध क्षेत्र के कायाकल्प के लिए लाभकारी दृष्टिकोण (आरकेवीवाई-रफ्तार) के अंतर्गत आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करना और एग्री-प्रेन्योर्स को वित्तीय और संस्थागत सहयोग के लिए तैयार करना था।
राज्य के किसानों और नवाचारक
बूटकैंप का आयोजन विशेष रूप से उन स्टार्टअप्स, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के लिए किया गया जो कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़े हुए हैं। इस सत्र में प्रतिभागियों को आरकेवीवाई-रफ्तार योजना के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता, इनक्यूबेशन सुविधाएं और व्यावसायिक मेंटरशिप के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में तीन प्रमुख पहलुओं पर विशेष फोकस रहा—
पहला, पांच लाख तक के स्तरीय अनुदान और 25 लाख या उससे अधिक की सहायता प्रारंभिक चरण के स्टार्टअप्स को वाणिज्यिक स्तर तक पहुंचाने के लिए दी जा रही है।
दूसरा, आईआईटी खड़गपुर स्थित एग्री-फूड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर (एएफबीआईसी) द्वारा प्रदान की जा रही इनक्यूबेशन सुविधाओं की जानकारी दी गई, जिनमें सह-कार्यशील स्थान, प्रयोगशालाएं, बौद्धिक संपदा और कानूनी मार्गदर्शन शामिल हैं।
तीसरा, कृषि व्यवसायों के सतत विकास के लिए बाजार से जुड़ाव, वैल्यू चेन एकीकरण और जलवायु सहनशील नवाचारों पर बल दिया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईसीएआर-अटारी, कोलकाता के निदेशक डॉ. प्रदीप डे ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एग्री-उद्यमिता के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना बेहद जरूरी है। संस्थागत सहयोग, रणनीतिक साझेदारियां और युवाओं की भागीदारी राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदल सकती है।
इस दौरान एएफबीआईसी की मुख्य परिचालन अधिकारी श्रीमती शालिनी सिंह ने योजना की पात्रता, आवेदन प्रक्रिया और चयन प्रणाली को विस्तार से समझाया। उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और मार्गदर्शन प्रतिभागियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी साबित हुआ।
बूटकैंप में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए 25 ग्री-स्टार्टअप्स और ग्रामीण उद्यमियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में आयोजित इंटरैक्टिव सत्र में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया, अपने प्रश्न पूछे और इनक्यूबेशन सुविधाओं में रुचि जताई।
आयोजकों ने यह संकल्प लिया कि वे राज्य में नवाचार, उद्यमिता और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों को निरंतर आयोजित करते रहेंगे और एग्री-इनोवेटर्स को हरसंभव सहयोग प्रदान करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय