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सवाई माधोपुर, 19 जून (हि.स.)। रणथंभौर टाइगर रिजर्व की चर्चित बाघिन टी-84 ‘एरोहेड’ के तीनों शावकों को वन विभाग ने हाल ही में अलग-अलग टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया है। बाघिन कनकटी (RBT-2507) एरोहेड की बेटी को गुरुवार सुबह ट्रेंकुलाइज कर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (कोटा) के लिए रवाना किया गया। शिफ्टिंग का मुख्य कारण कनकटी का आक्रामक व्यवहार और उसका इंसानी गतिविधियों वाले क्षेत्रों में लगातार विचरण करना बताया गया है। वह रणथंभौर किले और त्रिनेत्र गणेश मंदिर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में देखी गई थी। पिछले कुछ समय में कनकटी के हमलों में एक सात वर्षीय बच्चे और एक वन रेंजर की मौत हो चुकी है, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ अनूप के. आर. ने बताया कि कनकटी को नाका भिड के एनक्लोजर से ट्रेंकुलाइज किया गया। इसके बाद उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और रेडियो कॉलर लगाकर मुकुंदरा टाइगर रिजर्व कोटा भेजा गया। इस ऑपरेशन को रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. रामानंद भाकर और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के डीएफओ मुथु के निर्देशन में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इसमें पशुपालन विभाग के डॉ. राजीव गर्ग, वेटरनरी ऑफिसर डॉ. सी.पी. मीणा, एसीएफ तेजस पाटील, फील्ड बायोलॉजिस्ट मोहम्मद मैराज, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के अधिकारी राजशेखर, क्षेत्रीय वन अधिकारी रामखिलाड़ी मीणा और रेस्क्यू टीम के सदस्य शामिल रहे।
बाघिन कनकटी के अतिरिक्त उसकी बहन बाघिन RBT-2508 को 17 जून को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (बूंदी) में शिफ्ट किया गया था, जबकि उनके भाई बाघ RBT-2509 को करौली जिले के केलादेवी वन्यजीव अभयारण्य के एनक्लोजर में रखा गया है। तीनों शावक रणथंभौर की बाघिन एरोहेड के संतान हैं, जिसकी कुछ दिन पहले ब्रेन ट्यूमर के कारण मृत्यु हो गई थी।
बाघिन कनकटी की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी खास रही है। वह बाघिन एरोहेड और बाघ टी-120 ‘गणेश’ की संतान है। उसकी नानी रणथंभौर की मशहूर बाघिन ‘मछली’ थी, जिसे क्वीन ऑफ रणथंभौर कहा जाता था। कनकटी को 25 जुलाई 2023 को पहली बार रणथंभौर के शिवराज एनीकट क्षेत्र में अपनी मां और भाई-बहन के साथ देखा गया था।
कनकटी द्वारा की गई सबसे बड़ी घटना में वह एक सात वर्षीय बालक कार्तिक सुमन को रणथंभौर दुर्ग के रास्ते से उठा ले गई थी, जो अपनी दादी के साथ त्रिनेत्र गणेश के दर्शन कर लौट रहा था। बाघिन ने जंगल में जाकर काफी देर तक बच्चे के शव को दबोचकर रखा, जिसे वनकर्मियों की कड़ी मशक्कत के बाद छुड़ाया गया, लेकिन तब तक बालक की मृत्यु हो चुकी थी। इसके अलावा एक वन रेंजर भी उसके हमले का शिकार बना।
रणथंभौर से इस साल अब तक तीन बाघों का स्थानांतरण हो चुका है और ये तीनों एरोहेड के ही संतान हैं। इन तीनों को मिलाकर अब तक रणथंभौर से कुल 24 बाघ-बाघिनों को देश के अन्य टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जा चुका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक