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कोलकाता, 18 जून (हि.स.)। मानसून की सक्रियता और निम्न दबाव के संयुक्त प्रभाव के चलते पश्चिम बंगाल में तेज बारिश हो रही है। बीते दो दिनों से दामोदर घाटी क्षेत्र में मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की गई है। इसी के मद्देनज़र दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने मैथन और पांंचेत बांध से लगभग 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। इस जलप्रवाह को लेकर निचले दामोदर क्षेत्रों में चिंता गहराने लगी है।
झारखंड की तेनुघाट और तिलैया बांधों से पहले ही पानी छोड़ा जा चुका है, जो माइथन और पांंचेत में जमा हो रहा है। इसके कारण इन दोनों बांधों का जलस्तर तेजी से बढ़ा, जिससे डीवीसी को जल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। मंगलवार रात बराकर घाटी में 20 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि बुधवार को पूर्व बर्धमान के कई इलाकों में तेज बारिश जारी रही। आने वाले 48 घंटों के दौरान दक्षिण बंगाल में भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की गई है।
पिछले वर्षों में डीवीसी द्वारा जल छोड़े जाने के चलते पूर्व बर्धमान, हावड़ा, हुगली और घाटाल जैसे निचले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार डीवीसी पर आरोप लगा चुकी हैं कि राज्य सरकार को पूर्व सूचना दिए बिना पानी छोड़ा जाता है, जिससे जन-धन की भारी हानि होती है। खेत, घर, तालाब सब जलमग्न हो जाते हैं और लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ती है।
इस साल भी मानसून की शुरुआत में ही डीवीसी ने जल छोड़ना आरंभ कर दिया है। प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है, लेकिन अगर बारिश का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो स्थिति गंभीर हो सकती है। राज्य सरकार के अधिकारी और आपदा प्रबंधन दल सतर्क हो गए हैं।
राज्य सरकार ने बार-बार केंद्र सरकार से मांग की है कि डिवीसी के जलाशयों की सफाई और रखरखाव के लिए उचित कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री ने यह सवाल भी उठाया है कि केंद्रीय एजेंसी जलाशयों से गाद क्यों नहीं हटाती, जिससे जल संग्रहण क्षमता प्रभावित होती है और जल छोड़ने की आवश्यकता जल्दी पड़ती है।
स्थिति पर नजर बनाए रखने के साथ-साथ राज्य सरकार अब डीवीसी से बेहतर समन्वय और पूर्व चेतावनी व्यवस्था की मांग कर रही है ताकि आम जनता को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर