गर्म हवा व लू  से  करें बचाव, सावधानी के साथ घर से निकलें
उत्तर प्रदेश के आपदा प्रबंधन से जारी गर्म हवा व लू  से  करें बचाव की फोटो


प्रयागराज, 12 जून (हि.स.)। भीषण गर्मी , गर्म हवा एवं लू के प्रकोप से बचाव के लिए जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों को निर्देश देते हुए आमजन मानस से अपील किया कि घर से बाहर निकलते समय सावधानी रखे। यह जानकारी गुरूवार को अपर जिलाधिकारी एवं जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकारण मुख्य कार्यपालक अधिकारी विनीता सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में पारा 43 डिग्री सेल्यिस से अधिक होने के कारण भीषण गर्मी, गर्म हवा व लू के प्रकोप से बचाव के लिए संबंधित विभागों को जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी, गर्म हवा व लूू से अपना बचाव कैसे करें तथा सुरक्षित कैसे रहें। गर्म हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके। उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आतीं हैं, काले परदे लगाकर रखना चाहिए।

मौसम के पूर्वानुमान को अवश्य सुने नागरिक

मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले। बच्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़ें। जहां तक सम्भव हो घर में ही रहें तथा सूर्य के ताप से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें।

मौसम का अलर्ट

जून के मध्य/अधिक तापमान रहने की संभावना है। ऐसे में लोगों को हीट वेब से बचाव के लिए आवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए। हीटवेव से बचाव को लेकर जनसामान्य के बीच जागरूकता अभियान स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है। जब वातावरण का तापमाप 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेब या लू कहते हैं। अभी आगे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा इसलिए गर्मी से बचाव के लिए विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए।

कब लगती है लू

गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसंस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सावधान रहें।

लू के लक्षण

गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी,व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है।

जनपद में हीटवेव (लू) के प्रति जोखिम (कमजोर वर्ग एवं क्षेत्र की पहचान)

5 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति,गर्भवती महिलायें, ऐसे व्यक्ति जोकी सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक, मजदूर, खिलाड़ी आदि हों।शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति सावधानी से रहे। त्वचा संबंधित रोग जैसे-सोरायसिस, पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति। पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का आभाव,सोने का आभाव।

शिशुओं के लिये क्या करें

उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें। यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हैं। बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।

पशुओं के लिए क्या करें

जहां तक संभव हो, तेज गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें। यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहें। जानवरों को किसी बंद में न रखें, क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है। ध्यान रखें कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हों, उन्हें ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें। पीने के पानी के दो बाउल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें। अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें। किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोडे़।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल