सरकारी जमीन पर अवैध बंदोबस्ती और कब्जे का आरोप, जांच की मांग
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पश्चिम सिंहभूम, 13 जून (हि.स.)। पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा)। जिले के सदर अंचल क्षेत्र में भूमि घोटाले को लेकर सरकारी जमीनों की अवैध बंदोबस्ती और तालाबों पर कब्जे के गंभीर आरोप लगाया गया है। शुक्रवार को एंटी करप्शन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष रामहरि गोप ने इस मामले की उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा है।

रामहरि गोप का आरोप है कि गितिलपी, सिकुरसाई, गुटुसाई, डिलियामर्चा, कपरसाई और टोंटो जैसे कई गांवों में ग्राम मुण्डाओं ने पैसों के बदले बाहरी लोगों को अवैध रूप से सरकारी जमीनों की कच्ची बंदोबस्ती कर दी है। उन्होंने कहा कि जनहित योजनाओं के लिए भूमि की भारी कमी है, लेकिन सरकारी जमीनें अवैध रूप से निजी हाथों में पहुंच रही हैं। कई मामलों में बिना वैध प्रक्रिया के नामांतरण कर दिया गया है जो पूरी तरह से गैरकानूनी है।

वाद संख्या 621/2022-23 से 623/2022-23 तक के कई मामलों को उन्होंने उपायुक्‍त से संदिग्ध बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।

उन्होंने खासमहल क्षेत्रों में बिना लीज नवीकरण के जमीन की खुलेआम बिक्री को भी गंभीर बताया। उन्‍होंने कहा कि इससे राज्य सरकार को भारी राजस्व की हानि हो रही है। छोटानागपुर काश्‍तकारी अधिनियम 1908 का उल्लंघन करते हुए आदिवासी जमीन पर गैर-आदिवासियों द्वारा कब्जा किए जाने और वहां व्यवसायिक गतिविधियां शुरू करने की बात भी उन्होंने कही। उन्‍होंने बताया कि इन जमीनों पर दुकान, गैरेज और रेस्टोरेंट बनाए जा चुके हैं, जिनमें कई बड़े व्यवसायियों के नाम भी जुड़े हुए हैं।

गोप ने मधुबाजार, मंगला हाट, थॉमसन तालाब और धोबी तालाब जैसे सार्वजनिक जल स्रोतों पर हो रहे निर्माण कार्यों को पर्यावरणीय नियमों और सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन बताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि आदिवासी अधिकारों, सार्वजनिक भूमि और पर्यावरण सुरक्षा पर सीधा हमला है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक