Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

काेर्ट ने कहा, अपहृत की हत्या पर प्रथमदृष्टया जिला पुलिस प्रमुख दोषी होने चाहिए
पुलिस कमिश्नर से मांगा याचिका पर जवाब, सुनवाई 12 जून को
प्रयागराज, 10 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपहरण से जुड़े मामलों में पुलिस की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की है। कहा है कि यदि समय पर पता न लगने के कारण अपहृत व्यक्ति की हत्या हो जाती है, तो प्रथम दृष्टया जिम्मेदारी उस पुलिस प्रमुख पर तय की जानी चाहिए जिसके अधिकार क्षेत्र में केस रिपोर्ट दर्ज हुआ है।
कोर्ट ने कहा अपहृत के बरामद न होने के कारण घातक परिणाम हुए। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस अधिकारी हमेशा बड़ी छवि बनाने की कोशिश में दिखते हैं लेकिन शिकायतों को लेकर संजीदा नहीं रहते। अपहृत व्यक्ति का पता नहीं लगने पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार (दशम) की खंडपीठ ने ऐसे ही एक मामले में नोटिस जारी कर वाराणसी के पुलिस आयुक्त से अगली सुनवाई तिथि 12 जून अथवा उससे पहले हलफनामा तलब किया है।
चार जून को यह मामला सुनते हुए खंडपीठ ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देशित किया था कि आदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, के माध्यम से पुलिस आयुक्त, वाराणसी को प्रेषित किया जाए। नितेश कुमार की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, यह पहला मामला नहीं है जब लापता लोगों का पता नहीं चल पाया है। हमने देखा है कि पुलिस खुद को सार्वजनिक शिकायतों को प्राप्त करने और उन पर ध्यान देने से बचने के लिए खुद को बचाती रही है। याची का भाई 31 मार्च 2025 से लापता है। कथित तौर पर उसका अपहरण कर लिया गया है। एफआईआर तीन अप्रैल 2025 को दर्ज की गई है, लेकिन पुलिस उदासीन है। क्योंकि अधिकारियों पर कोई व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय नहीं की जाती है। ऐसी ही उदासीनता का नतीजा यह होता है कि कई बार अपहृत व्यक्ति की हत्या हो जाती है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे