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फरीदाबाद, 13 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली ब्लास्ट से तार जुड़ने के बाद जांच के दायरे में आई फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के छात्रों और स्टाफ के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है। यूनिवर्सिटी के आसपास किराये पर रह रहे छात्र और कर्मचारी अब मकान खाली करने के दबाव में हैं। मकान मालिकों को डर है कि कहीं वह जांच एजेंसियों के रडार पर न आ जाएं, इसी वजह से वे किरायेदारों को अल्टीमेटम दे रहे हैं।
दरअसल, यूनिवर्सिटी परिसर के बाहर सैकड़ों की संख्या में छात्र पीजी या किराये के कमरों में रहते हैं। गांव धौज और फतेहपुरा तगा में सबसे ज्यादा छात्र और स्टाफ किराये पर रहते हैं। अब जांच एजेंसियों की लगातार कार्रवाई के चलते मकान मालिक किसी भी तरह की परेशानी से बचना चाहते हैं और बाहरी छात्रों व स्टाफ को कमरे खाली करने को कह रहे हैं।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद से राष्ट्रीय जांच एजेंसी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टरों और स्टाफ से पूछताछ कर रही है। आतंकी नेटवर्क से जुड़े डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल शकील और सुसाइड बम हमलावर डॉ. उमर नबी के संपर्क में रहे लोगों से पूछताछ अब तक जारी है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में दो हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्र सबसे ज्यादा हैं। कई छात्र हॉस्टल की बजाय आसपास के गांवों में किराये पर रहते हैं। इन्हीं गांवों में पहले बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद हो चुकी है, जिसके बाद पुलिस ने कई मकान मालिकों से पूछताछ की थी।
मकान मालिकों का कहना है कि वे जांच के झंझट में नहीं पड़ना चाहते। यूनिवर्सिटी के अलावा भी किरायेदार मिल जाएंगे, इसलिए जोखिम लेने की जरूरत नहीं है। अचानक कमरे खाली करने के दबाव से छात्र और स्टाफ दोनों परेशान हैं। मौजूदा माहौल में उन्हें दूसरी जगह किराये का मकान या कमरा मिलना भी मुश्किल हो रहा है।
गांव धौज में रहने वाले एक स्टाफ कर्मचारी ने बताया शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि नवंबर का किराया पूरा होते ही मकान खाली करने को कह दिया गया। दूसरी जगह न मिलने के कारण वे अभी तक शिफ्ट नहीं कर पाए हैं। यूनिवर्सिटी शहर से काफी दूर है और आसपास के यही गांव सबसे नजदीक हैं। शहर से रोजाना आना-जाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि यहां तक कोई सरकारी परिवहन सुविधा भी नहीं है।
मकान खाली कराने का मामला पुलिस तक भी पहुंच गया है। फरीदाबाद पुलिस को करीब 12 शिकायतें मिली हैं, जिनमें छात्रों और स्टाफ ने मदद मांगी है। उन्होंने मकान खाली करने के लिए कम से कम एक महीने का समय देने की मांग की है, लेकिन मकान मालिक उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं।
एनआईटी क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त मकसूद अहमद ने बताया कि मकान मालिकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने किरायेदारों का पुलिस सत्यापन कराएं। इससे उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। पुलिस शहर में सत्यापन अभियान चला रही है और लोगों की मदद के लिए हर समय तैयार है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गुरुदत्त गर्ग