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नैनीताल, 11 दिसंबर (हि.स.)।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के मतदान से पहले हुए बवाल, पांच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण, चुनाव में डाले गए एक मतपत्र में ओवर राइटिंग की शिकायत व जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव फिर से कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तिथि नियत की है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में जांच चल रही है और रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें एक सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि यह अपराध से जुड़ा मामला है इसलिए इसमें जनहित याचिका नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय हैं, जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय दे दिया। मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पांचों जिला पंचायत सदस्य तरुण शर्मा, प्रमोद कोटलिया, डिकर सिंह मेवाड़ी, दीप सिंह बिष्ट व विपिन जंतवाल कोर्ट में पेश हुए। मामले के अनुसार 14 अगस्त को हाईकोर्ट ने नैनीताल के जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान पांच सदस्यों के कथित अपहरण से संबंधित वायरल वीडियो का कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। कांग्रेस की जिपं अध्यक्ष प्रत्याशी पुष्पा नेगी व जिपं सदस्य पूनम बिष्ट ने भी याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में एक मतपत्र में ओवर राइटिंग कर क्रमांक एक को दो कर अमान्य घोषित कर दिया गया। इन पांचों जिला पंचायत सदस्यों ने राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होकर लिखित बयान दर्ज कराया था कि उनका अपहरण नहीं हुआ, बल्कि वह अपनी मर्जी से गए थे। निर्देलीय चुनाव जीतने के कारण उन्होंने भाजपा-कांग्रेस के अध्यक्ष प्रत्याशी को वोट नहीं दिया था।.............
लता नेगी
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हिन्दुस्थान समाचार / लता