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नाहन, 11 दिसंबर (हि.स.)।भगवान भक्त के वश में होते हैं। हिमाचल से लगते उत्तराखंड के दसऊ गांव में इसका साक्षात उदाहरण देखने को मिला। दसऊ गांव से छत्र धारी श्री चालदा मासूम महाराज की हिमाचल के पश्मी गांव के लिए विदाई हो रही थी। इस दौरान महासू महाराज पशगांव की लड़कियों से नहीं मिल पाए। लिहाजा लड़कियों ने विलाप शुरू कर दिया तो रोती बिलखती लड़कियों को मिलने के लिए महासू महाराज पालकी सहित दौड़कर वापस आए। स्थानीय लोगों के अनुसार देव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब लड़कियों के पुकारने पर देवता मुड़ कर वापस आए हों।
बताते चलें कि देवभूमि उत्तराखंड और हिमाचल में देव शक्तियों जीवंत रूप में प्रकट होती हैं और भक्तों को अपने होने का आभास कराते हैं।दरअसल, श्री महासू महाराज दसऊ गांव से पहली बार हिमाचल के शिलाई के पश्मी गांव के लिए प्रवास पर निकले हैं। इस दौरान उनका दसऊ गांव में रात्रि जागरण था। रात्रि जागरण के बाद महाराज भुपोउ गांव के लिए प्रस्थान करने जा रहे थे। देव परंपरा है कि श्री महासू महाराज गांव की विवाहित और अविवाहित लड़कियों से मिलने के बाद प्रस्थान करते हैं। मगर, अगले कार्यक्रम में हो रही देरी के चलते मासूम महाराज के पुजारी, बजीर और देव माली पालकी उठाकर चलने लगे। ऐसे में प्रस्थान से पहले पशगांव की लड़कियां की श्री महासू महाराज को विदाई परम्परा नहीं हो पाई। लिहाजा इंतजार में बैठी खत पशगांव की लड़कियां रास्ते में बैठकर महाराज को पुकारने लगी और रोना बिलखना शुरू कर दिया।
वहां मौजूद लोगों ने उन्हें समझाने का भरपूर प्रयास किया मगर लड़कियां परम्परागत तरीके से बिदाई की जिद पर अड़ी रही। इस दौरान चमत्कार हुआ। आराध्य देव के विरह और प्रेम के वशीभूत रास्ते में विलाप करती लड़कियों की पुकार महाराज तक पहुंची। वहां उपस्थित हजारों लोग उसे वक्त हैरान रह गए जब महासू महाराज के गुरु पालकी को अपने कंधों पर लेकर और दौड़कर लड़कियों के पास आ गए। लड़कियों के बिलाप और प्रेम के प्रति मासूम महाराज की प्रतिक्रिया देखकर हर कोई हैरान है। प्रेम से पुकारोगे तो भगवान नंगे पैर भी दौड़े चले आते हैं, इस घटना ने वेदों में वर्णित इस वाणी को चरित्रार्थ कर दिया है।
स्थानीय लोगों और देव बजीर का कहना है कि देव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब विदा होकर निकल चुके महाराज की पालकी किसी के विलाप और पुकार पर वापस लौट कर आई हो। यहां श्री महासू महाराज ने दैवीय शक्ति से ओतप्रोत देव माली के माध्यम से लड़कियों की विदाई स्वीकार की। उन्हें आशीर्वाद दिया और फिर प्रस्थान किया। इस घटना को जिसने भी देखा सभी हैरान है।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर